अर्जुन : अंदर की जंग का योद्धा
– कभी आपको ऐसा लगा है कि बाहर की दुनिया से ़ज्यादा मुश्किल लड़ाई अपने मन के अंदर होती है?
– क्या आपके मन में भी गुस्सा, डर आता है या कई बार समझ नहीं आता कि सही क्या है?
– क्या कभी किसी ने आपको कहा कि बहादुर बनो! लेकिन ये नहीं बताया कि कैसे?
तो मिलिए अर्जुन से- एक ऐसा योद्धा जो तीर चलाना जानता है लेकिन उसकी असली लड़ाई किसी राक्षस या युद्ध में खड़े विरोधियों से नहीं बल्कि अपने ही मन के डर, गुस्से, उलझनों और सवालों से है।
यह कहानी है एक ऐसे सफर की जहाँ अर्जुन सीखता है:
– डर से कैसे दोस्ती की जाए?
– सही और गलत के बीच फर्क कैसे पहचाना जाए?
– जब दिमाग और दिल के बीच खींचतान हो तो दिल की सुनकर, सही फैसला कैसे लिया जाए?
तो इस मार्ग में उसे मिलते हैं शुभचिंतक, मार्गदर्शक, दोस्त, चुनौतियाँ और खुद को समझने के मौके। हर मोड़ पर अर्जुन जानने लगता है कि असली बहादुरी सिर्फ बाहर का युद्ध जीतना नहीं है, खुद की असली पहचान पाना भी एक जीत है।
अगर आप भी कभी अपने मन के भीतर उलझे हो, आपको भी लगता है कि सही-गलत समझने के लिए उम्र नहीं, समझ चाहिए तो यह किताब आपके लिए है।
चलो, अर्जुन के साथ उस सफर पर जहाँ सबसे मुश्किल निशाना है- अपने आपको समझ पाना।



Reviews
There are no reviews yet.