आजीविका लक्ष्य
यदि आप ईश्वर की नौकरी कर रहे होते और ईश्वर कहता, ‘यू आर फायर्ड – आपको नौकरी से निकाला जाता है’ तो आपकी अवस्था क्या होती? क्या आप दुःखी होते? क्या आप ईश्वर को कोसते? या इसके ठीक विपरीत आप अपनी गलतियाँ ढूँढ़कर अपने अंदर हर वह गुण लाने की कोशिश करते, जो ईश्वर की नौकरी करने में आपके लिए सहायक सिद्ध होता।
ये बातें सोचकर ही आप स्वयं में कुछ बदलाव ला सकते हैं तो अमल करने के बाद कैसा चमत्कार होगा! गलती यह होती है कि इंसान जो नौकरी कर रहा है, उसे वह ईश्वर की नौकरी नहीं समझता। वह समझता है कि ‘मैं मेरी कंपनी के लिए… अपने बॉस के लिए… पैसों के लिए नौकरी करता हूँ।’ जिस दिन यह गलत मान्यता टूट जाएगी उस दिन से आपका आजीविका लक्ष्य, अव्यक्तिगत दृष्टि लक्ष्य में बदल जाएगा, उस दिन आपको हर नौकरी ईश्वर की नौकरी लगेगी… और यही वास्तविकता है।
आज आप जो भी व्यवसाय या नौकरी कर रहे हैं, वह ईश्वर की नौकरी है, जो आपको पसंद आ सकती है- इतना ही नहीं वह आपके लिए सफलता के मार्ग भी खोल सकती है, जरूरत है संप्रेषण और दृष्टिकोण बदलने की। यही कला आपको कर्मांत की अनोखी कहानी सिखाएगी।
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