यह पुस्तक उन सभी महिलाओं के लिए है, जो जीवन के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में समान रूप से उन्नति करना चाहती हैं। इस पुस्तक के शीर्षक अनुसार यह पुस्तक नारी को आत्मनिर्भर बनने का मार्गदर्शन देती है। इस पुस्तक में विशेष बात यह बताई गई है कि „स्त्री शरीर नहीं गुण है।’ स्त्री अपने गुणों की शक्ति से आत्मनिर्भर बन सकती है। अपने घर और ऑफिस के कार्यों में संतुलन स्थापित कर सकती है। इस पुस्तक में आत्मनिर्भर कैसे बनें? कामकाजी नारी का जीवन कैसा हो? नारी का जीवन स्वस्थ और निरोगी कैसे बने? गर्भवती नारी का जीवन कैसा हो? इन सभी सवालों के जवाब समाविष्ट किए गए हैं तथा इसमें सुखी-वैवाहिक जीवन का रहस्य बताया गया है।
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