द मन
कैसे बने मनः नमन, सुमन, अमन और अकंप
The power of your unshaken mind
How to travel मन day 2 Sun डे
मन है दर्पण या मन है कल-कल। मन है मीरा या मन है माया। मन है बचपन या मन है पचपन। मन है बिल्ली या मन है बंदर। मन है नौकर या मन है स्वामी। मन है बकरे की मैं-मैं या मन है ऊँट का अहंकार। मन के इतने सारे रूप और विशेषताएँ देखकर मन को केवल मन नहीं कहेंगे, इसे कहेंगे द मन ।
मन की शक्ति से सिद्धि भी मिल सकती है तो सत्य भी मिल सकता है। मन की जानकारी से पैसा भी मिल सकता है तो प्रज्ञा भी मिल सकती है। मन के श्रम से कैदखाना भी बन सकता है तो आश्रम भी बन सकता है। क्या आप अपने मन की शक्ति, युक्ति और श्रम से ‘पृथ्वी लक्ष्य।’ प्राप्त करना चाहते हैं? पृथ्वी लक्ष्य यानी वह लक्ष्य जिसे पूरा करने के लिए हम पृथ्वी पर आये हैं। जो लक्ष्य हमें दिखायी देता है वह पृथ्वी लक्ष्य नहीं है, वह तो आजीविका जुटाने के लिए रखा गया लक्ष्य है। हम अपने मन को इस पुस्तक के सहारे ऐसा प्रशिक्षण दें ताकि वह हमें पृथ्वी लक्ष्य तक पहुँचाये।
यह पुस्तक मन day से SUN डे की यात्रा है। मन डे से सप्ताह की शुरुआत होती है यानी मन के दिन हर इंसान के जीवन में आते हैं। इंसान जब अपने मन से परेशान हो जाता है तब वह SUN डे-प्रकाश की ओर यात्रा शुरू करता है। जिनका मन अकंप नहीं है, वे रास्ते में तोलू मन के शिकंजे में फँस जाते हैंऔर फिर से मन डे से यात्रा शुरू करते हैं।
Reviews
There are no reviews yet.