काबिलियत – सफलता का लुप्त द्वार
आज लोग अपने रोल मॉडल के हर पहनावे, लाइफ-स्टाइल को कॉपी करते हैं। भले ही उसमें कितना पैसा, समय और ऊर्जा व्यर्थ जा रही हो। बाहरी पहनावे को तो वे आसानी से अपनाते हैं पर रुककर यह नहीं सोचते कि सफल लोग जिस मुकाम पर हैं, वहाँ तक पहुँचने के लिए उन्होंने अपने आपको इस काबिल बनाया है कि वे आज ऊँचाइयों पर खड़े हैं।
देखा जाए तो हर इंसान अपने आपमें पूर्ण है, उसमें गुणों का भंडार छिपा हुआ है, वह भी अपनी काबिलियत बढ़ाकर सफलता की ऊँचाइयों को छू सकता है। इंसान के गुण उन खदानों में छिपे कोयले की तरह हैं, जिन्हें तपाकर, तराशकर हीरे की शकल दी जा सकती है। इन हीरों को लुप्त द्वार से निकालने और उन्हें तराशने में यह पुस्तक आपकी मदद करेगी। इस पुस्तक में पढ़ें:
* पुरानी प्रोग्रामिंग कैसे मिटाएँ?
* काबिलियत बढ़ाने का वैज्ञानिक कारण क्या है?
* अपनी नज़र में ऊँचा उठने की कला कैसे सीखें?
* घटना को टैकल करने का मंत्र क्या है?
* अपनी ऊर्जा का स्तर कैसे बढ़ाएँ?
* परिस्थिति के अनुरुप ढलने की कला कैसे सीखें?
* मनचाहे परिणाम पाने का राज़ क्या है?
* 10,000 घंटे अभ्यास का रहस्य क्या है?
याद रखें, काबिलियत या योग्यता वह दौलत है, जिसे कोई चुरा नहीं सकता बल्कि समय के साथ वह बढ़ती है। इसलिए पहले आप काबिल बनें, फिर सफलता हासिल करें।
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