निर्णय लेते समय इंसान को वचनबद्ध होना चाहिए। वचनबद्धता में टालमटोल करने के लिए इंसान “अगर’, “मगर’, “यदि’ और “लेकिन’ शब्द इस्तेमाल करता है। हर बार काम और जिम्मेदारी से भाग-भागकर इतनी बड़ी घटनाएँ हो जाती हैं कि इंसान के पास फिर पछतावे के अलावा कुछ और नहीं बचता। उसके बाद वह चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, कुछ नहीं कर पाता। जीवन में ऐसी परिस्थिति न आए इसलिए पहले ही इंसान को जिम्मेदारी उठाना, वचनबद्ध होना और निर्णय लेने की कला सीखनी चाहिए। यही इस पुस्तक का उद्देश्य है।
इसके अलावा इस पुस्तक में पढ़ें:-
* सबसे बड़ी जिम्मेदारी कैसे लें
* उच्च निर्णय क्षमता कैसे बढ़ाएँ
* उठी हुई चेतना से निर्णय कैसे लें
* निर्णय न लेने का निर्णय कैसे लें
* समय रहते निर्णय लेने की कला कैसे सीखें
* जिम्मेदारी आज़ादी की घोषणा है, जिम्मेदारी लेकर आज़ादी कैसे प्राप्त करें
* गैर जिम्मेदारी के परिणामों से कैसे बचें
* वादे निभाने की शक्ति द्वारा वचन पर कायम कैसे रहें
* लिए गए कार्य को दिए गए समय पर कैसे पूर्ण करें
* निरंतर अभ्यास से अपने अंदर दृढ़ संकल्प का निर्माण कैसे करें
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