अपने अंदर हरक्युलिस को जनम दें
‘आप कपड़े क्यों नहीं पहनते?’ लड़के ने पागल फकीर से आश्चर्य में पड़कर सवाल किया| पागल फकीर ने शांत स्वर में जवाब दिया, ‘क्योंकि पहले हम कपड़े पहनते हैं, बाद में कपड़े हमें पहन लेते हैं|’
पागल फकीर का पहेलीनुमा जवाब लड़के को कुछ समझ में नहीं आया| उसने फकीर से अगला सवाल किया- ‘आपकी आँखें लाल क्यों हैं?’ रहस्यमयी मुस्कान के साथ पागल फकीर ने जवाब दिया- ‘क्योंकि तुम्हारी आँखों में बाल है|’ फकीर का अतार्किक जवाब लड़के की समझ से बाहर था| फिर भी तीसरा सवाल पूछने की उत्सुकता वह दबा न सका| ‘आप इस खंडहर में क्यों रहते हैं?’ पागल फकीर ने हँसते हुए जवाब दिया, ‘यह खंडहर नहीं, महल है|’ पागल फकीर के ऊल-जलूल जवाब सुनकर लड़के का सिर चकरा गया| उसे अब पूरा विश्वास हो गया कि हो न हो यह फकीर आधा नहीं पूरा पागल है| फिर भी अंदर ही अंदर उसका दिल फकीर से बार-बार मिलने की गवाही दे रहा था|१२
… ‘खोज- स्वयं का सामना’ ग्रंथ
यह पढ़कर कहीं आपका सिर भी तो नहीं चकरा गया? यदि हॉं तो पागल फकीर द्वारा दिए जवाबों पर खोज करें| हरक्युलिस बनें| प्राचीन काल के हरक्युलिस ने अपोलो देवता के आशीर्वाद से अपने बाहुबल के बलबूते, १२ असंभव कार्यों को अंजाम दिया| जब कि आज के हरक्युलिस ने देवी मॉं की बदौलत प्राप्त मानसिक शक्ति के बलबूते, खोज कर ‘स्वयं का सामना’ किया| उसने आस-पास के लोगों में भी साहस भरकर अपने जैसे कई हरक्युलिस तैयार किए| आइए, इस पुस्तक को पढ़कर हम भी अपने अंदर हरक्युलिस को जनम दें|
सरश्री की शिक्षाएँ हमें स्वयं को आइने में देखने पर मजबूर करती हैंं| हमारे चरित्र को सुदृढ़ बनाने में मदद करती हैं तथा जीवन मूल्यों पर पूनर्विचार करने के लिए प्रेरित करती हैं|
– डॉ. किरन बेदी, मॅगसेसे अवॉर्ड विजेती
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