पूर्ण संतुष्टि भावना पाने की युक्ति
संतुष्टि कोई सांसारिक चीज़ नहीं है,
जिसे कहीं बाहर से प्राप्त किया जा सके
बल्कि यह एक ईश्वरीय गुण है, जो हम सबके अंदर है,
सतत है और हमारे जीवन का अंश है
– क्या आप अपने व्यक्तिगत रिश्तों में संतुष्टि महसूस करते हैं?
– क्या आप संतुष्टिभरी नींद ले पाते हैं?
– क्या आप अपने रोजमर्रा के या ऑफिस के कार्य में संतुष्टि पाते हैं?
– क्या आप अपने आध्यात्मिक जीवन से संतुष्ट हैं?
– वे कौन से कारण हैं, जो हमें पूर्ण संतुष्ट रहने से रोकते हैं?
– संतुष्ट रहने की कला सीखना क्यों ज़रूरी है?
– ऐसे कौन से उपाय हैं, जिनसे उन कारणों को दूर किया जा सकता है?
– संतुष्टि की ऐसी कौन सी अवस्था है, जिसे पाकर इंसान वापस असंतुष्टि की खाई में नहीं गिरता?
यदि आपके जीवन में भी किसी न किसी बात को लेकर असंतुष्टि है तो यह पुस्तक आपके लिए वरदान साबित होगी, जो आपको असंतुष्टि की भावना से मुक्ति दिलाकर, पूर्ण और स्थाई संतुष्टि की ओर ले जाएगी। क्योंकि इस ग्रंथ में उस संतुष्टि की बात नहीं की जा रही है, जो धूप में खड़े प्यासे की प्यास बूझने के बाद मिलती है… एक भूखे को खाना खाने के बाद मिलती है… या वर्षों बाद अपने किसी चाहनेवाले को गले लगाकर मिलती है।
यहाँ जिस संतुष्टि की बात की जा रही है वह इंद्रियों, पैसों या रिश्तों तक सीमित नहीं है बल्कि उसके भी परे परम संतुष्टि है। क्या इतना जानना काफी नहीं है, पुस्तक को खोलकर पढ़ने के लिए? तो उठाएँ एक कप टी, कौन सी टी? संतुष्टि!
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