„प्रार्थना बीज” इस विषय पर केंद्रित पुस्तक के प्रथम खण्ड में प्रार्थना की आवश्यकताओं, उद्देश्य, बाधाओं आदि के बारे में लोक कथाओं द्वारा प्रकाश डाला गया है। साथ ही प्रार्थना को असरदार बनाने के उपायों तथा विभिन्न धर्मों और संतों की अलग-अलग प्रार्थनाओं पर व्यापक चर्चा की गई है। पुस्तक के द्वितीय खण्ड में विश्वास बीज की चर्चा उल्लेखित है। लेखक के अनुसार विश्वास का बीज बोकर मनुष्य भक्ति, शक्ति और कृपा का फल प्राप्त कर सकता है। अज्ञानता के अंधकार से घिरा मनुष्य प्रस्तुत पुस्तक द्वारा विश्वास बीज की दिखाई राह पर चलकर मुक्ति पा सकता है।
इस पुस्तक में प्रार्थना कैसे करें? प्रार्थना में ईश्वर से क्या मॉंगें? सबसे ऊँची प्रार्थना कौन सी है? प्रार्थना की 5 रुकावटें कौन सी हैं? प्रार्थना कैसे असरदार बनाएँ? ईश्वर, गुरु, कृपा के लिए कौन सी प्रार्थना करें? पूरे दिन प्रार्थनामय कैसे बनें? सभी धर्मों और संतों की प्रार्थनाएँ कौन सी हैं? और प्रार्थना के अन्य महत्वपूर्ण पहलू स्पष्ट किए गए हैं। इस पुस्तक में प्रार्थना की अदभुत शक्ति का रहस्य समझाया गया है। इसमें चार शब्दों की उच्चतम प्रार्थना, प्रार्थना से परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग, प्रार्थना की समझ और हर समय की प्रार्थनाएँ दी गई हैं।
इसके अतिरिक्त इस पुस्तक में प्रार्थना की 7 आवश्यकताओं में समझाया गया है कि प्रार्थना क्रिया नहीं है बल्कि ईश्वर के प्रति प्रेम व भक्ति का भाव है। प्रार्थना विश्वास से हो, अंधविश्वास से नहीं। प्रार्थना में शब्दों से ज्यादा भाव महत्वपूर्ण हैं, भाव से ही परिणाम आते हैं। प्रार्थना में मन की शुद्धता और धीरज बहुत जरूरी है। यह पुस्तक प्रार्थना के सारे रहस्य खोलती है।
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