इस पुस्तक के प्रस्तुतिकरण का उद्देश्य है- इसे अपने जीवन में आत्मसात करना। यह पुस्तक कुल 6 भागों में विभाजित की गई है। पहला भाग रिश्तों के महत्व पर रोशनी डालता है और ऐसी समझ देता है कि लोग उतने बुरे नहीं हैं, जितना आप उन्हें समझते हैं।
दूसरे भाग में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि रिश्तों से अज्ञान का अंधेरा कैसे मिटे और उसमें जो रुकावटे हैं जैसे कि आसक्ति, लोभ-लालच, अहंकार, शंकाएँ और तनाव कैसे दूर हों।
तीसरे भाग में इस बात को महत्व दिया गया है कि रिश्तों में आपसी संवाद कैसा हो।
भाग चार में विवाह का असली अर्थ समझाते हुए यह समझ दी गई है कि पति-पत्नी दोनों किस तरह एक-दूसरे की चेतना का स्तर ऊपर उठाने के लिए निमित्त बनें तथा एक-दूसरे की आध्यात्मिक उन्नति के लिए कारण बनें। भाग पॉंच में तीन मुख्य सुनहरे नियम बताए गए हैं, जो हैं
* निरीक्षण की कला से गुणवान कैसे बनें,
* प्रशंसा की कला से लोगों की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएँ और सबसे महत्वपूर्ण
* पूरी दुनिया को कैसे बदलें, इसका सबूत इसमें दिया गया है।
भाग छः इस पुस्तक का सबसे अहम हिस्सा है, जिसमें रिश्तों में बनी कॉंच की दीवार तोड़ने के महत्त्वपूर्ण कदम बताए गए हैं। इसे पढ़कर आप अपने किसी रिश्तेदार, मित्र या भाई, जिससे आपकी कई दिनों से बातचीत बंद है, उससे बात करने की पहल कर सकते हैं।
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