गुरुओं की वाणी से निकली गुरु की पहचान पर ही आधारित है यह पुस्तक।
* स्वयं गुरु के मुख से जब गुरु उपासना होती है तब उसका महत्त्व कई गुना बढ़ जाता है।
* भारत में सदियों से गुरु-शिष्य परंपरा चलती आ रही है।
* कई गुरुओं ने अपने ज्ञान से लोगों के जीवन का हमेशा उद्धार ही किया है।
* हर युग में ऐसे गुरुओं की सराहना उनके शिष्यों के द्वारा होती आ रही है।
* इन गुरुओं में से ऐसे भी गुरु हैं, जो स्वयं प्रकाशित हुए। इसका अर्थ ही उनके जीवन में जीवित गुरु नहीं आए, फिर भी उन्होंने गुरु के बारे में ऐसे वाक्य कहे जो सदियों तक लोगों को प्रेरणा देनेवाले हैं।
* हर शिष्य, हर भक्त या जो अंतिम सत्य तक पहुँचना चाहता है, उन सबके लिए यह पुस्तक मददगार साबित होगी।
* इस पुस्तक में ऐसे 21 संतों की कहानियाँ व शिक्षाएँ पिरोई गई हैं, जो दर्शाती हैं कि हमारे जीवन में गुरु का क्या महत्त्व है।
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