तनाव: सफलता की सीढ़ी
आज के समय में तनाव कोरोना की तरह एक महामारी का रूप ले चुका है। इसका बचाव मंत्र है ‘‘नकारात्मक विचारों से दूरी, ध्यान है ज़रूरी।’’
याद रखिए, इंसान को कभी भी बदलाव से नहीं लड़ना चाहिए क्योंकि बदलाव तनाव की नहीं, सफलता की पहली सीढ़ी है।
यह किताब भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार ‘‘कहानी-आधारित शिक्षण-शास्त्र’’ पर आधारित है तथा रटने की प्रथा से अलग है। यह किताब हर उम्र के लोगों के लिए लाभदायक है। इस किताब में जानेंगेः
– तनाव है क्या?
– तनाव के लिए ज़िम्मेदार कौन?
– शिकायत करने में और सूचना देने में क्या अंतर है?
– कहीं इंसान नकलची बंदर तो नहीं?
– कहीं आपको तनाव का तनाव तो नहीं आता?
– क्या आप जानते हैं, तनाव एक नकारात्मक भावना नहीं बल्कि किसी भी कार्य को पूरा करने के दौरान एक ज़िम्मेदारी का एहसास है?
इस किताब को पढ़ने के बाद आप तनाव को एक शक्ति के रूप में पहचान पाएँगे, जो आपको आगे बढ़ने और सफलता पाने में सहयोग करेगी। जैसे अर्जुन ने अपने तनाव को पहचानकर, उसकी शक्ति का प्रयोग सफलता के लिए किया। आप भी इससे सीखें और इस पंक्ति को अपने जीवन का प्रेरणा मंत्र बनाएँः
सीधा रखो अपना ध्यान, याद करो अर्जुन का बाण।
आँख हो मछली या चिड़िया की, जीतेगा ही तू ये मान॥
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