अपनी सेल्फी खुद निकालें, सेल्फ-ही सत्य है जानें!
करें माया के साँप का सामना…
‘अब मुझे चक्रव्यूह यानी माया के शिकंजे से बाहर निकलना चाहिए।’
क्या आपको कभी यह विचार आया है कि जिन मान्यताओं के चक्रव्यूह में अब तक आप जीते आए हैं, उनसे अब बाहर निकलना चाहिए? बचपन से आज तक आपको जो मान्यताएँ मिलती रही हैं, क्या वे ही आपके बच्चों को मिलनी चाहिए? माया के शिकंजे के पंजे पर मात कैसे हो? ये सवाल हमें स्वयं से पूछने चाहिए।
अध्यात्म में भी आज लोगों ने अनेक सवालों के पुराने जवाब पकड़कर रखे हैं। जैसे-
* पिछले जन्मों के कर्म आज फल देंगे। इस जीवन के कर्म अगले जन्म में फल देंगे।
* आज के कर्म अभी कोई आनंद नहीं देंगे, अगले जन्म में ही उसका लाभ होगा।
* भाग्य में होगा तो ही हम खुश होंगे। (हकीकत में आनंद सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है।)
* ईश्वर – विशेष चेहरा, आभूषण, मेकअप रखता है तथा कुछ बातों पर नाराज़ होता है और कुछ बातों पर खुश होता है।
* मोक्ष मरने के बाद मिलता है।
ऐसे लोग पुराने ज्ञान पर अमल नहीं करते और नया सुनने के लिए तैयार नहीं होते, बस बीच में ही अटके रहते हैं। अतः वे अधूरे ज्ञान के सहारे ही जीवन बिताते हैं। अब समय आया है कि हम सही जवाब प्राप्त करके सच्चे अध्यात्म (जीवन लक्ष्य) को समझें।
अध्यात्म का गलत अर्थ निकालने के कारण इंसान जीवन में दुःख, निराशा और असफलता का कारण अपने भाग्य में ढूँढ़ता है। वह जिनसे इस बारे में सवाल पूछता है, उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं होती। लेकिन अहंकार के कारण ऐसे अज्ञानी ‘मुझे मालूम नहीं’ कहने के बजाय देवी-देवता, लोगों को कर्म-भाग्य, जीवन-मृत्यु, पिछले जन्मों की कहानियाँ बताकर बहला देते हैं।
इस तरह गलत जवाब दे-देकर इंसान की विचार शक्ति नष्ट कर दी गई है। वक्त आया है कि हम अपने जीवन के केवल 24 घंटे सत्य जानने के लिए खर्च करें। यही इस पुस्तक का उद्देश्य है।
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