मोक्ष-एक अंतर्दृष्टि
मोक्ष हमारे अंतरंग में है, हमारे ही भीतर विद्यमान है। उसका अनुभव करने के लिए चाहिए- तेज अंतर्दृष्टि, समग्र समझ। सजगता और रियाज़ इस समग्र समझ को उभारते हैं। प्रस्तुत पुस्तक आपकी सजगता बढ़ाकर मोक्ष के उन रहस्यों को खोलती है, जो यह बताते हैं कि
* मोक्ष हर इंसान की जरूरत है और उसे पाना सहज एवं सरल है।
* मोक्ष मरने के बाद नहीं, जीते जी पाया जा सकता है।
* मोक्ष पाने के लिए संसार छोड़ना नहीं पड़ता बल्कि संसार में रहते हुए, उसे निमित्त बनाकर प्राप्त किया जा सकता है।
* शरीर के नहीं, अहंकार के जन्म-मरण से मुक्ति मोक्ष है।
मोक्ष, चेतना की वह अवस्था है, जिसमें सभी तरह की मान्यताएँ, धारणाएँ, बंधन समाप्त हो जाते हैं और इंसान परम चेतना के तालमेल में आ जाता है। फिर जो जीवन जीया जाता है, वह खेल मात्र होता है; जो कार्य होता है, वह चरम गुणवत्ता से भरा होता है; चाहे वह किसी भी क्षेत्र का क्यों न हो। क्या आप अपने आस-पास मोक्ष प्राप्त गृहिणियाँ, डॉक्टर, शिक्षक, वैज्ञानिक की कल्पना कर सकते हैं? जी हाँ, यह संभव है। कैसे? यही समझ इस पुस्तक में दी गई है।
यह पुस्तक उस उच्चतम आंतरिक समझ को प्रकाशित करती है, जिसके प्रकाश में आप अपने शुद्धतम स्वरूप का दर्शन कर पाएँगे।
तो खोलिए इस पुस्तक रूपी आइने को, जिसमें मोक्ष का चेहरा आपका इंतज़ार कर रहा है।
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