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सबसे पहले आपके मुँह में घी-शक्कर! आप जानते हैं कि यात्रा पर निकलते वक्त किसी को घी-शक्कर खिलाई जाती है ताकि उसकी यात्रा सफल हो। जुबान से जग जीतना भी एक यात्रा ही है, जिसके सफल होने के लिए आपको शुरुआत में ही घी-शक्कर खिलाई जा रही है। साथ ही घी-शक्कर इस बात की भी याद दिलाती है कि आपकी जुबान में मिठास और शक्ति है, जिसकी मदद से आप जग जीत सकते हैं। अर्थात इंसान की जुबान एक ऐसा द्वार है, जो ब्रह्मांड के सारे रहस्य उसके सामने खोल सकता है, बशर्ते उसका उच्चतम उपयोग हो।
हो सकता है जुबान की शक्ति पर आपको अभी यकीन न आए। किंतु जरा रुकें और सोचें कि हकीकत में जुबान क्या है? ‘जुबान जादू है।’ इस पर कोई प्रतिप्रश्न कर सकता है कि ‘अगर वाकई जुबान जादू है तो मुझे उसका चमत्कार क्यों दिखाई नहीं देता?’ चलिए, इस सवाल का जवाब एक उदाहरण से ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं।
बचपन में कई बार बच्चों को एक राजकुमार की कहानी सुनाई जाती है, जिसमें उसके पास जादू का घोड़ा होता है। उस घोड़े पर बैठने के बाद वह आसमान की उड़ान भरकर तुरंत अपनी मंज़िल पर पहुँच जाता है। ऐसी कहानियाँ आपने भी सुनी होंगी। मगर क्या कभी आपने यह सोचा है कि वह राजकुमार मंज़िल पर पहुँचने के बाद घोड़े को नीचे उतारना जानता था या नहीं?
कहने का अर्थ, केवल हवा में उड़नेवाला घोड़ा प्राप्त करना काफी नहीं है बल्कि उसे हवा से नीचे उतारने की कला भी आनी चाहिए। वरना उस राजकुमार को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
कई लोग इस तरह सोच नहीं पाते। उन्हें लगता है, ‘काश! मेरे पास भी ऐसा घोड़ा होता… काश! मुझे मेरी मंज़िल तुरंत मिल जाती…।’ किंतु हकीकत यह है कि आप वह जादू अपने साथ लेकर घूम रहे हैं। वह है- आपकी जुबान! फर्क सिर्फ इतना है कि आप उसका सही ढंग से पूरा उपयोग नहीं कर पाते। इसके बाद आप मनन के माध्यम से अपनी जुबान का उच्चतम उपयोग कर सकते हैं, जिसके लिए यहाँ पर कुछ सवालों का जिक्र किया गया है। जैसे
* मुझ पर किन शब्दों का असर होता है?
* मैं वार्तालाप के दौरान कौन से शब्दों का उपयोग करता हूँ?
* मेरे शब्दों से सामनेवाला खुश होता है या दुःखी?
* शब्दों के नकारात्मक असर से मुक्त होने के लिए क्या मैं कोई ठोस कदम उठाता हूँ?
* क्या मेरी जुबान स्वाद के वश में झूठ बोलती है या नाटक करती है?
* क्या मैंने जुबान की ताकत का अनुभव लिया है?
* मुझे ऐसी कौन सी समझ पर कार्य करना चाहिए, जिसके बाद जुबान से जग जीतने की यात्रा शुरू होगी?
इन सवालों पर मनन करने से जुबान की शक्ति के अलग-अलग आयाम आपके सामने आएँगे। जब आपका मन इस बात पर यकीन करेगा कि जुबान में जादू है तभी वह उसकी ताकत का सही ढंग से उपयोग कर पाएगा। विश्वास रखें, प्रशिक्षित जुबान की शक्ति से जग जीता जा सकता है, बशर्ते आपने जुबान को ‘शब्द-स्वाद लक्ष्य’ दिया हो। जिसके लिए आवश्यक है कि अपनी खुशी की जिम्मेदारी स्वयं लें।
आप कहेंगे, ‘यह कैसे संभव है? मेरा फलाँ रिश्तेदार मुझे हमेशा कड़वे शब्द सुनाता है, मुझसे नफरत करता है… मेरा जीवनसाथी हमेशा मुझसे लड़ता रहता है… ऐसे में भला कोई कैसे खुश रह सकता है?’
स्वाभाविक है कि आपके मन में ऐसे कई नकारात्मक विचार आएँगे, जिनकी वजह से आप दुःखी रहते हैं। याद रखें, ऐसा सोचकर आप अपने आनंद की जिम्मेदारी औरों को दे रहे हैं। किंतु अब समय आया है कि अपनी खुशी की जिम्मेदारी स्वयं लें ताकि जुबान के साथ-साथ जीवन का स्वाद भी बढ़े। इस वक्त यदि आप उलझन में पड़ गए होंगे कि ‘मैं अपनी खुशी की जिम्मेदारी किस तरह ले सकता हूँ? क्या वाकई यह संभव है?’ तो यकीन मानिए ‘शब्द-स्वाद लक्ष्य’ के साथ जुबान से जग जीतने की पूरी संभावना है।
जुबान का सही लक्ष्य
इसके लिए स्वयं में छोटा सा परिवर्तन करें। जुबान का उपयोग करते वक्त जहाँ आप उत्साही हैं, वहाँ उदासीन हो जाएँ और जहाँ उदासीन है, वहाँ उत्साही हो जाएँ। कहने का अर्थ अपनी जुबान को शब्दों में मीठी और स्वाद में उदासीन होने का लक्ष्य दें। यही है शब्द-स्वाद लक्ष्य, जिस पर अमल करने से जुबान का जादू आपके जीवन में प्रकट होने लगेगा। कई बार लोग स्वाद के लिए इस कदर उत्साही होते हैं कि केवल खाने के लिए जीते हैं और भूल जाते हैं कि जीवन के लिए खाना है, खाने के लिए नहीं जीना है। साथ ही कुछ लोग अपने शब्दों के बारे में इतने उदासीन होते हैं कि जुबान का गलत इस्तेमाल करके उसकी शक्ति गँवा देते हैं।
इन दोनों अतियों से बचते हुए अपने शब्दों के प्रति सजग और स्वाद में उदासीन हो जाएँ। हो सकता है शुरुआत में यह मुश्किल लगे मगर मनन जारी रखते हुए अपने लक्ष्य पर डटे रहें। गहराई से सोचें कि ‘मेरे जीवन पर कौन से शब्द प्रभाव डालते हैं?’ अपने विचारों पर गौर करेंगे तो आप पाएँगे कि लोग कई बार अज्ञान में दूसरों पर शब्द थोप देते हैं और सामनेवाले के शब्दों से प्रभावित हो जाते हैं। एक बलशाली इंसान केवल नकारात्मक शब्दों के प्रभाव की वजह से कमज़ोर जीवन जी सकता है। ऐसा इंसान इंद्रियों का गुलाम बनकर, दुःख के गीत गाते हुए पूरा जीवन बिता देता है और शब्द-स्वाद लक्ष्य से वंचित रह जाता है, जिसे यहाँ पर दिए गए एक और उदाहरण से समझें ः
एक कबीले के लोग दुश्मनों से लड़ने के लिए अलग तरह का हथियार इस्तेमाल करते थे। उनके पास एक लंबी पाईप होती थी, जिसके मुँह पर जहर में डुबोई हुई सुई रखी जाती थी। जब वे किसी को जान से मारना चाहते थे तब उस पाईप में फूँक मारते थे ताकि उस सुई से सामनेवाला मर जाए। इस प्रयोग में सबसे महत्वपूर्ण थी उनके जुबान की ताकत (माउथ पावर), जिसकी वजह से सामनेवाले की जान जा सकती थी।
इंसान के साथ भी यही बात लागू होती है। उसके मुँह से निकले हुए शब्दों से किसी की जान जाने की नौबत आ सकती है। अतः उसे हर बार जाँचना चाहिए कि उसकी जुबान कौन सी दिशा में कार्य कर रही है। जैसे किसी ने आपको कभी कहा कि ‘आज आप बीमार लग रहे हो’ तो थोड़ी देर बाद आपको सेहत ठीक न होने का एहसास होने लगता है। बेशक यह तब होता है, जब आपका मन ‘बीमार’ शब्द ग्रहण करता है। कहने का अर्थ जुबान के साथ-साथ अपने कानों को भी प्रशिक्षित करें और उनके द्वारा कौन से शब्द अंतर्मन तक जा रहे हैं, इसका ध्यान रखें। अगर बेहोशी में एक शब्द भी आपके मन ने ग्रहण किया तो उसका नकारात्मक असर आपके पूरे जीवन पर हो सकता है। अतः संभाषण के दौरान सुनते और बोलते वक्त शब्दों का चयन सही करें।
हर सुबह उठने के बाद स्वयं को याद दिलाएँ कि आपकी जुबान में शक्ति है, जिसे लेकर आप दिनभर घूमते हैं। अब यह आपके चुनाव पर निर्भर करता है कि शब्दों के चयन से लोगों की चेतना का स्तर बढ़ाएँ या घटाएँ। कई बार एक इंसान उसके अंदर उबलनेवाले नकारात्मक विचार सामनेवाले पर उगलता है। उन शब्दों से सामनेवाले को दुःख होगा, इस पर वह ध्यान नहीं देता बल्कि उसे जो बोलना है, वह बोल देता है। किंतु ‘शब्द-स्वाद लक्ष्य’ के साथ अपने शब्दों के सही उपयोग पर ध्यान देना सीखें ताकि उनके प्रयोग से सभी आनंदित हो पाएँ। जुबान की शक्ति को इस तरह बढ़ाएँ कि सकारात्मक शब्दों का प्रयोग आपका स्वभाव बन जाए और उनके उपयोग से आपके आस-पास के लोग भी आनंदित हो जाएँ।
एक इंसान का व्यक्तित्व उसकी जुबान पर निर्भर होता है। जैसे मीठी भाषा बोलनेवाले लोगों के रिश्ते अच्छे होते हैं तो कड़वी जुबानवाले लोगों के रिश्तों में कड़वाहट होती है। एक तरफ जुबान के सही इस्तेमाल से सफल, आनंदित और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन संभव होता है तो दूसरी तरफ अप्रशिक्षित जुबान असफलता, दुःख और बीमारियाँ देती है। अर्थात जुबान की मदद से इंसान अपना जीवन सँवार सकता है और बिगाड़ भी सकता है। अतः शब्द-स्वाद लक्ष्य के साथ अपनी जुबान का बेहतरीन उपयोग करें और अपने जीवन के नवनिर्माता बनें।
2 comments
Bindu Ahuja
ज़ुबान एक दोधारी तलवार हैं चाहे तो रिश्तों में मिठास भर कर जीवन में शांति ला सकती है या महाभारत जैसे युद्ध करवा सकती है । इसलिए इसका इस्तेमाल करके आप अपना जीवन कैसे बनाते हैंयह आप PR निर्भर करता है।
AJAY
waah !!!.. aaj bahut kuch sikhne ko mila .. bahut bahut Dhanyawad Sirshree aur Tej sevak .. apke karya se chetana badh rahi hai .. DHANYAWAD!!!