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‘डर’ खाली यह शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤•à¤° ही कà¥à¤¯à¤¾ होता है? धड़कन तेज चलने लगती है, हाथ-पैर काà¤à¤ªà¤¨à¥‡ लगते हैं, पसीना छूटता है और निरà¥à¤£à¤¯ लेने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ à¤à¥€ उस समय के लिठसमापà¥à¤¤ हो जाती है। ‘डर का डर’ सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ सबको होता है। आज तक हम डर से ही डरते आठहैं। लेकिन यहाठपर डर को नठनज़रिठसे देखनेवाले हैं ताकि आज के बाद आप कह सकें कि ‘डर तू अपना काम कर…’ और उस वकà¥à¤¤ आपको कà¥à¤¯à¤¾ करना है? आइà¤, देखते हैं।
* डर कà¥à¤¯à¤¾ है
डर मातà¥à¤° à¤à¤• ‘विचार’ है। ‘à¤à¤¸à¤¾ हो गया तो… कहीं à¤à¤¸à¤¾ न हो जाअ कहीं मैं मर न जाऊअ मैं इंटरवà¥à¤¯à¥‚ में फेल हो गया तो… पेपर लिखते वकà¥à¤¤ मà¥à¤à¥‡ जवाब याद नहीं आठतो…’ डर के à¤à¤• विचार से इंसान à¤à¤¸à¤¾ चितà¥à¤° बना डालता है, जहाठवह इस à¤à¤• विचार को फलते-फà¥à¤²à¤¤à¥‡ देखता है और उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जीवन में घटनाà¤à¤ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करता है। जैसे à¤à¤• इंसान ने पेपर में दरà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤• à¤à¤•à¥à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट की खबर पॠली और उसके मन में डर आया कि कहीं इस तरह का हादसा मेरे साथ न हो जाà¤à¥¤ कोई अपने बीमार रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° से मिलने असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में चला गया। रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° की बीमारी के लकà¥à¤·à¤£ जान लिठऔर वह सोचने लगा कि ‘ये लकà¥à¤·à¤£ तो मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ à¤à¥€ हैं। इसका अरà¥à¤¥ मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ यह बीमारी है कà¥à¤¯à¤¾?’ यह विचार आते ही वह डर गया। à¤à¤¸à¥‡ में विचारों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी सजगता बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ रहना और डर के विचारों का अचà¥à¤›à¥‡ तरीके से इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करना, यही डर पर शिकसà¥à¤¤ पाने का उतà¥à¤¤à¤® तरीका है।
* डर à¤à¤¾à¥œà¥‡ पर लाया है
डर आने के बाद आप जब à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ सोचेंगे कि इसे à¤à¤¾à¥œà¥‡ पर लाया गया है तब डर से डरना बंद हो जाà¤à¤—ा। जो à¤à¥€ आपसे कह रहा है कि ‘तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कामयाबी नहीं मिलेगी… तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¸à¥‡ ही जीना होगा… यह तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ बस की बात नहीं है…’ और यह सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही आप डर जाते हैं तब उस वकà¥à¤¤ à¤à¤¸à¤¾ सोचें कि जो इंसान आपको डर के विचार दे रहा है, उससे आप डर à¤à¤¾à¥œà¥‡ पर लाठहैं। कोई à¤à¥€ चीज़ आप à¤à¤¾à¥œà¥‡ पर लाते हैं तब उस वकà¥à¤¤ के लिठआप उसके मालिक और वह आपकी नौकर बनती है। डर के बारे में à¤à¥€ यही सोचना है कि आप डर के मालिक हैं और अब इसे लाया ही है तो इसका सही इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² à¤à¥€ करना है।
आपके विचारों में जैसे-जैसे सकारातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ बà¥à¤¨à¥‡ लगेगी, डर को पूरी तरह से देखना, समà¤à¤¨à¤¾ आप पसंद करेंगे। अब यदि डर को आपके या औरों के विचारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¥œà¥‡ पर लाया ही है तब कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लाया है, इस पर à¤à¥€ जब मनन होगा तब डर को आप पूरी तरह देख पाà¤à¤à¤—े।
* आपके साहस को सिदà¥à¤§ करने के लिठडर की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾
जब डर आता है तब आपमें कितना साहस है यह बात अपने आप ही पता चलती है। इसलिठडर आने के बाद सबसे पहले उसका सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लें, उससे लड़ाई-à¤à¤—ड़ा न करेें कि यह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आया, नहीं आना चाहिठथा। लड़ेंगे तो उसे और बà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ देखेंगे इसलिठउसका सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करें और यह जान लेने की कोशिश करें कि डर आपसे कà¥à¤¯à¤¾ करवाने के लिठआया है?
सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ लोगों को सà¥à¤Ÿà¥‡à¤œ पर जाते ही बहà¥à¤¤ डर लगता है। हाथ-पाà¤à¤µ काà¤à¤ªà¤¨à¥‡ लगते हैं, पेट में खलबली मचती है, बहà¥à¤¤ पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लगती है। तब याद रखें कि डर के ये लकà¥à¤·à¤£, ये सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ आपका साहस बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठआती हैं। कà¥à¤¦à¤°à¤¤ यही चाहती है कि कà¥à¤› डरावनी बातों से न डगमगाते हà¥à¤ इंसान अपने धैरà¥à¤¯ पर काम करे।
* डर का लाठदेखना सीखें
किसी à¤à¥€ इंसान को डर आता है तब वह उसकी ज़रूरत होती है। जैसे à¤à¤—à¥à¥›à¤¾à¤® का डर आता है तब ही पà¥à¤¾à¤ˆ होती है। मानो, कोई अपने सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ डर लेकर बैठता है कि ‘मà¥à¤à¥‡ यह बीमारी न हो… मà¥à¤à¥‡ आनà¥à¤µà¤‚शिक बीमारी से गà¥à¥›à¤°à¤¨à¤¾ न पड़े…’ तब बार-बार आनेवाला à¤à¤¸à¤¾ विचार ही इंसान को अपने सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सजग करता है। फिर सेहत अचà¥à¤›à¥€ रखने के लिठइंसान पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, विचारायाम, मौनायाम का पालन करने लगता है। सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठहितकारक खान-पान करता है। अपनी शंकाओं के लिठडॉकà¥à¤Ÿà¤° का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ लेता है। à¤à¤¸à¤¾ करते-करते उसकी सेहत अपने आप सà¥à¤§à¤°à¤¤à¥€ है, उसके विचारों में à¤à¥€ परिवरà¥à¤¤à¤¨ आता है और धीरे-धीरे बीमारी के बारे में उसका डर à¤à¥€ समापà¥à¤¤ होने लगता है।
किसी को मृतà¥à¤¯à¥ का डर सताता है कि ‘कहीं मैं मर तो नहीं जाऊà¤à¤—ा? यदि à¤à¤¸à¤¾ हो जाठतो कà¥à¤¯à¤¾ होगा?’ यह डर ही इंसान से खोज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾, मनन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सतà¥à¤¯ सामने ला सकता है। मृतà¥à¤¯à¥ का डर रखनेवाला इंसान मृतà¥à¤¯à¥ पर मनन करे, ‘मैं कौन हूà¤â€™, इसकी समठअनà¥à¤à¤µ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करे तब वह जान लेगा कि असल में मृतà¥à¤¯à¥ है ही नहीं। मृतà¥à¤¯à¥ तो केवल धोखा है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पृथà¥à¤µà¥€ जीवन के बाद à¤à¥€ जीवन है लेकिन पृथà¥à¤µà¥€ पर इंसान का शरीर ही उसकी पहचान होती है इसलिठशरीर के साथ आसकà¥à¤¤à¤¿ रहती है। ‘यह शरीर, यह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ रहे तो मैं ज़िंदा वरना मैं नहीं रहा’, यह बात इंसान के अंदर कहीं तो बैठगई है। उसके आजू-बाजू में à¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥ का नाम सà¥à¤¨à¤•à¤° डरे हà¥à¤ लोग ही होते हैं। वासà¥à¤¤à¤µ में बाकी घटनाओं की तरह मृतà¥à¤¯à¥ को à¤à¥€ à¤à¤• घटना की तरह देखने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। मृतà¥à¤¯à¥ की सही पहचान होगी तब ही उसके बारे में होनेवाला डर हमेशा के लिठसमापà¥à¤¤ हो जाà¤à¤—ा और हम कह सकेंगे कि मृतà¥à¤¯à¥ कà¤à¥€ à¤à¥€ आà¤, हम उसके लिठतैयार हैं।
इस तरह डर हमें अपनी खामियों पर मात करना सिखाता है इसलिठउसका सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करें। उसका लाठलेते रहें, जिससे डर की ताकत धीरे-धीरे समापà¥à¤¤ होती जाà¤à¤—ी। साथ में यही समठरखें कि आपकी ज़रूरत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह डर आया है। ज़रूरत जब खतà¥à¤® होगी तब डर à¤à¥€ अपने आप समापà¥à¤¤ हो जाà¤à¤—ा।
* डर से बाहर आने के लिठकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ चितà¥à¤° का उपयोग करें
जिस बात का आपको डर है, उस पर आपने मात की है और कामयाबी के साथ आप उससे बाहर आ गठहैं, यह आपको इस कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ चितà¥à¤° में देखना है। जैसे किसी को लोगों के सामने बोलने का डर होता है तब वह कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ चितà¥à¤° का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कैसे करेगा, यह जान लेते हैं।
इसके लिठउसे सबसे पहले रिलैकà¥à¤¸ होकर बैठना है। बंद आà¤à¤–ों के सामने उसे यह चितà¥à¤° देखना है कि ‘मैं लोगों के सामने निडर होकर बात करता हूà¤, अपनी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करता हूà¤à¥¤â€™ बेहोशी में जो नकारातà¥à¤®à¤• विचारों को दोहराया गया है, जिससे यह डर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होकर बà¥à¤¤à¤¾ ही जा रहा है, उसे समापà¥à¤¤ करना है और नठविचारों के साथ पà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤¸ शà¥à¤°à¥‚ करनी है। इसके लिठबंद आà¤à¤–ों के सामने चितà¥à¤° देखना है कि ‘मैं लोगों के सामाने अपने विचार अचà¥à¤›à¥‡ से रख पा रहा हूà¤à¥¤â€™ इस तरह अपना विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ बà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ देखना है। इस सीन को बार-बार देखना है और उसके बाहर आकर खà¥à¤¦ को देखना है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ उस सीन को दृषà¥à¤Ÿà¤¾ à¤à¤¾à¤µ से देखना है।
यह कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ चितà¥à¤° आपको लगातार कà¥à¤› दिनों तक देखना होगा। इसका अरà¥à¤¥ ही, सकारातà¥à¤®à¤• चितà¥à¤° की पà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤¸ पहले आपको दिमाग में करनी होगी और बाद में उन बातों को अपने आप होते हà¥à¤ देखना होगा। इस तरह à¤à¤•-à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ को लेकर इस तरह कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ चितà¥à¤° के साथ उसे सà¥à¤²à¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ देखें।
* à¤à¤•à¥à¤•à¤® (सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤à¤—) बॅक अप हो तब डर से बिलकà¥à¤² à¤à¥€ न डरें
डर के बारे में इतना जान लेने के बाद à¤à¤• और महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात को समà¤à¤¨à¤¾ à¤à¥€ ज़रूरी है। जिन लोगों का बॅक अप à¤à¤•à¥à¤•à¤® होता है उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ डर से डर ने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ ही नहीं होती मातà¥à¤° सजगता ज़रूरी होती है।
बॅक अप का अरà¥à¤¥ है, आप पृथà¥à¤µà¥€ पर कà¥à¤¯à¤¾ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना चाहते हैं, पृथà¥à¤µà¥€ पर आपका जीवन किस तरह अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ हो उसका चितà¥à¤°à¥¤ वह जितना सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होगा वह आपका बॅक अप। फिर आपके जीवन में जो à¤à¥€ घटनाà¤à¤ होंगी, उस बॅक अप के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही होंगी और आपका चà¥à¤¨à¤¾à¤µ à¤à¥€ अपने आप उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ बातों की तरफ होगा जो बॅक अप कह रहा है।
लोग चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के बारे में दà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ में उलà¤à¤¤à¥‡ हैं, सही चà¥à¤¨à¤¾à¤µ नहीं ले सकते लेकिन जब बॅक अप सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है तब आपका चà¥à¤¨à¤¾à¤µ उस तरफ ही ले जानेवाला है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आपको इतना विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ आया है कि मेरा बॅक अप कà¥à¤²à¤¿à¤…र है इसलिठजो à¤à¥€ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ होगा वह आपको उस दिशा में ही ले जाà¤à¤—ा। इस बीच जो à¤à¥€ दिखावटी सतà¥à¤¯ आà¤à¤—ा आपको उससे डर नहीं लगेगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आप जानते हैं कि यह à¤à¤¸à¤¾ दिख तो रहा है लेकिन इसका जो à¤à¥€ परिणाम आà¤à¤—ा वह बेसà¥à¤Ÿ ही होगा। जिससे आप आगे ही बà¥à¥‡à¤‚गे।
डर से संबंधित इन सारी बातों को जान लेने के बाद, डर के पहलà¥à¤“ं को देखने के बाद अब आप à¤à¥€ साहस के साथ कह सकते हैं, ‘डर, तà¥à¤® अपना काम करो… मैं, मेरा काम करते रहूà¤à¤—ा।’
~ सरशà¥à¤°à¥€ की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं पर आधारित
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