ईसाई धर्म में मनाए जानेवाले तीन मुख्य दिन हैं- क्रिसमस, गुड फ्राइड और ईस्टर संडे। संपूर्ण विश्वभर में 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसी दिन पर यीशु क्राइस्ट यानी जीज़स का जन्म हुआ था।
ईसाईयत के अनुसार ईश्वर के बेटे जीज़स को शुक्रवार को सलीब पर चढ़ाया गया और रविवार को उन्हें पुनर्जीवन मिल गया। इसी की याद में पवित्र सप्ताह के शुक्रवार को गुड फ्रायडे और रविवार को ईस्टर-संडे या ईस्टर-डे मनाया जाता है। लेकिन इसका संदर्भ केवल धार्मिक नहीं, आध्यात्मिक है।
गुड फ्रायडे आएगा तो गॉड संडे (ईस्टर-संडे) भी आएगा। क्योंकि हर सीन अगले सीन की तैयारी होती है। आमतौर पर लोग गुड फ्रायडे का गलत अर्थ लगा लेते हैं क्योंकि वे इसे ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाने की घटना के रूप में याद करते हैं और दु:खद दिवस के रूप में मनाते हैं। इंसान की समझ जिस दिन के बारे में जैसी होती है, वह उसे उसी ढंग से मनाता है। इसीलिए जो घटना आनंद दे सकती है, वही दु:ख भी दे सकती है। लोगों के जीवन में न जाने कितनी घटनाएँ होती हैं और वे उन पर दु:खद या खुशी का लेबल लगाकर देखते हैं। तभी तो लोग मृत्यु को दु:खद घटना के रूप में देखते हैं। यह सब समझ और नज़रिए का फर्क है। इसीलिए कुछ लोगों के लिए यह गुड फ्रायडे होता है तो कुछ के लिए बैड फ्रायडे। लेकिन जो लोग इन दोनों के पार देख पाते हैं, उनके लिए यह ‘गॉड फ्रायडे’ बन जाता है।
जीज़स सलीब (सूली) पर चढ़े क्योंकि वे जानते थे कि बीज को ज़मीन के अंदर अंकुरित होने से पहले मरना होगा, फना होना होगा इसलिए उन्होंने वहाँ कोई चमत्कार नहीं किया। यह तर्क से परे की बात है। इसे पढ़कर लोग कहेंगे कि ‘यह कैसा लक्ष्य है कि इंसान मरने के लिए पैदा हुआ है?’ जैसे संत ज्ञानेश्वर की समाधि लोगों को यह मनन करने पर मजबूर करती है कि क्या मृत्यु ही जीवन का लक्ष्य हो सकता है?
जब आपका संपर्क ईश्वर के साथ होने लगता है तो आपको समझ में आने लगता है कि हमारा हर कर्म उसके साथ हो रहा है, हम उसी को ही दे रहे हैं और उसी से ही ले रहे हैं। फिर हमें कई गुना परिणाम और कई गुना आनंद मिलता है। उस समय जीज़स देख रहे थे कि लोग नकारात्मक कर्म कर रहे हैं और उन पर इसका कितना असर होनेवाला है। उन्हें यह भी पता था कि जो लोग सिर्फ देख रहे हैं, जो गलत कर्म नहीं कर रहे हैं, उन पर क्या असर होनेवाला है।
इतिहास में ऐसा कई बार हुआ, जब किसी महान आत्मा ने अवतरित होकर कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई और भ्रष्ट लोगों को चुनौती दी। हर धर्म में ऐसे कई महान लोग हुए हैं। लेकिन उनमें से अधिकतर को लोगों का विरोध झेलना पड़ा। जीज़स को भी ऐसे ही विरोध के कारण सूली पर चढ़ाने की सज़ा दी गई। मुगल बादशाह औरंगजेब के ़ज़माने में भी कई लोगों को काफिर कहकर सूली पर लटका दिया गया। उस समय के भ्रष्ट, बेईमान और अधर्मी लोगों ने जिसे अपने रास्ते से हटाना चाहा, उसके खिलाफ यह आरोप लगा दिया कि ‘यह अल्लाह के खिलाफ बोल रहा है। इसे सज़ा देनी चाहिए क्योंकि यह काफिर है।’ जबकि वास्तविकता यह है कि ऐसे लोगों को खुद ही नहीं मालूम था कि कौन काफिर है और कौन अल्लाह का बंदा है। उनसे कोई पूछता कि ‘तुम्हें कुछ पता भी है या बिना जाने-समझे किसी को भी काफिर साबित कर दोगे? असल में तुमसे बड़ा काफिर कौन है? तुम सत्य से पूछ रहे हो सत्य क्या है? तुम्हें सामने होते हुए भी सत्य नहीं दिख रहा है तो समझ में कैसे आएगा?’ कई सिख गुरुओं के साथ भी यही हुआ। उनसे सिर्फ एक-दो सवाल पूछे गए और उनके जवाबों के आधार पर काफिर बताकर उन्हें मार दिया गया।
गुड फ्रायडे के दिन जब जीज़स को सूली पर चढ़ाया जा रहा था, तब उस समय पर भी जीज़स ने लोगों को महत्वपूर्ण शिक्षाएँ दी। इसके साथ ही उन्होंने सूली पर चढ़ानेवालों को अपनी शरीरहत्या के पाप से मुक्त करते हुए कहा कि ‘हे परमपिता, इन्हें माफ कर दो, इन्हें मालूम नहीं है कि ये क्या कर रहे हैं।’ जीज़स की ऐसी उच्च बातों को जीज़स बनकर ही समझा जा सकता है। वरना एक इंसान छोटी सी गलती के लिए भी सामनेवाले को माफ नहीं कर पाता। किसी को माफ करने के लिए भी इंसान में उच्च चेतना और समझ चाहिए, जो जीज़स में थी।
जब जीज़स को सूली पर चढ़ाया जा रहा था, तब उस समय वहाँ मौजूद कई औरतें रो रही थीं, वे लोग शोक कर रहे थे, जो जीज़स के पक्ष में थे। उन्हें देखकर जीज़स ने कहा कि ‘रोना है तो अपने लिए रोओ, मेरे लिए मत रोओ।’ इससे वे यह इशारा कर रहे थे कि ‘यहाँ अपनी चिंता करो कि मैं ऐसे निम्न चेतना के लोगों से कैसे बच जाऊँ? मैं कैसे सजग रह जाऊँ? साथ ही मनन करो कि मैं कौन से कर्मकाण्डों में फँसा हुआ हूँ?’ जीज़स देख रहे थे कि बिना समझ के आम लोग, इन्हीं धर्म के ठेकेदारों/अधिकारियों के पास मार्गदर्शन लेने जाएँगे, जो जीज़स को सूली पर चढ़ा रहे हैं। इसलिए उस समय जीज़स ने लोगों को सजग होने का इशारा किया।
उन्होंने कहा कि ‘हरे पेड़ के साथ ऐसा हो रहा है तो सूखे पेड़ के साथ क्या होगा?’ इसका अर्थ यह था कि जीज़स जहाँ चेतना उच्च स्तर पर है और उनके पास उच्च दृष्टिकोण है। अगर उनके साथ लोग ऐसा हो सकता है तो सोचें कि आपके साथ क्या होगा। इस पंक्ति में जीज़स खुद को हरा पेड़ बताकर यह नहीं कह रहे हैं कि वे कितने महान हैं। वे तो लोगों को यह एहसास दिला रहे थे कि ‘अगर उच्च चेतना के साथ यह हो सकता है तो तुम्हारे साथ क्या हो सकता है इसलिए अगर बचना चाहते हो तो कार्य शुरू कर दो, निम्न चेतनावालों से दूर होने के लिए कुछ करो।’ जिन लोगों ने जीज़स की बात को समझा, उन्होंने अपने जीवन में परिवर्तन लाना शुरू किया।
जीज़स को सूली पर ले जाते समय उनके विरोधी उन पर थूक रहे थे, कुछ गालियाँ दे रहे थे। इस पर जीज़स ने कहा, ‘नफरत करनी ही है तो पाप से करो, पापी से नहीं।’ जबकि जीज़स के जीवन में तो पाप भी नहीं है लेकिन लोग तो यही भाषा समझते हैं इसलिए उन्होंने इस तरह का वाक्य कहा। उनकी बात का अर्थ यह था कि चेतना गिराकर जो पाप किया जा रहा है, उस पाप से नफरत करो। यहाँ नफरत करने का अर्थ है, उससे दूर हो जाना। हम जिससे नफरत करते हैं, उससे दूर हो जाते हैं। पाप से नफरत करने को कहकर जीज़स ने यही संदेश दिया कि पाप से दूर हो जाओ। जब जीज़स यह संदेश दे रहे थे तो कुछ लोग अपनी भड़ास निकालने के लिए उन्हें चोट पहुँचाने की कोशिश कर रहे थे और बार-बार पूछ रहे थे, ‘तुम तो बड़ी भविष्यवाणियाँ करते हो ना तो बताओ कि तुम्हें कौन मारेगा।’
लोग उनके साथ इस तरह अत्याचार कर रहे थे लेकिन फिर भी जीज़स ने कोई चमत्कार नहीं किया। क्योंकि वे देख रहे थे कि लोगों के इस व्यवहार के पीछे कैसी निम्न चेतना काम कर रही है। इसलिए उन्होंने अपना निर्णय नहीं बदला और कोई चमत्कार न करके भी बहुत बड़ा चमत्कार कर दिखाया।
जीज़स की चेतना इतनी उच्च थी कि उन्होंने सलीब (सूली) पर चढ़ाए जाते समय भी लोगों को इशारे दिए। चूँकि इशारे प्रत्यक्ष रूप से नहीं दिए जाते इसलिए समय के साथ उनका अर्थ खो जाता है। फिर लोग उसका सतही अर्थ निकालकर ऐसी चर्चाओं में उलझे रहते हैं कि ‘जीज़स ने यह कहा, वह क्यों कहा।’ जीज़स ने उस समय जो बातें कहीं थीं, वे आज भी लागू हो रही हैं। आपको जीज़स के बताए अनुसार यह मनन करना चाहिए कि ‘मैं कहाँ उलझा हुआ हूँ, मैं कहाँ असुरक्षित हूँ, मुझे अपने लिए कहाँ व्यवस्था करनी है, असली मैं कौन हूँ और वह असली मैं कब फँसता है?’ इस प्रकार से मनन करके ही आप सही मायने में गुड फ्रायडे को मना पाएँगे।
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