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जिंदगी में निर्णय लेना क्या वाकई इतना महत्वपूर्ण है? जी हाँ! यदि हम खुद अपने निर्णय नहीं ले सकते तो हमें औरों का कहना मानना पड़ता है। यहाँ तक कि लोगों ने हमारी जिंदगी के बारे में किए हुए फैसलों पर भी चुपचाप अमल करना पड़ता है। भविष्य में शायद आपको इस बात का पछतावा हो सकता है कि ‘मैं हमेशा, छोटी-छोटी बातों में भी औरों का कहना क्यों मानता रहा? मैंने खुद अपने निर्णय क्यों नहीं लिए?’
उदाहरण के तौर पर मान लें कि आप कहीं पर शॉपिंग करने के लिए गए हैं। उस वक्त आपके सामने कई ड्रेसेस होते हैं। खरीददारी करते वक्त आपको अपने लिए उनमें से एक ड्रेस का चुनाव करना पड़ता है। इसी तरह रोजमर्रा के जीवन में कई छोटे-छोटे निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। जैसे गृहिणियों को घर में सब्जी कौन सी बनाई जाए, इसका निर्णय लेना पड़ता है। कहीं जाने के लिए रास्ते का चुनाव किया जाता है। कौन से कपड़े पहने जाए, इसका निर्णय हर रोज इंसान को लेना पड़ता है। जब आप अपने लिए ये छोटे-छोटे चुनाव करते हैं तब आपमें धीरे-धीरे सही चुनाव करने की कला विकसित होती है।
जो इंसान जीवन में आगे बढ़ना चाहता है, सफलता की नई मंज़िलों को छूना चाहता है, उसे अपनी निर्णय क्षमता मज़बूत बनानी होगी। अर्थात हर इंसान को जीवन में सही निर्णय लने की कला सीखनी चाहिए। क्योंकि आपके द्वारा लिए गए निर्णयों पर आपका वर्तमान और भविष्य दोनों निर्भर होते हैं। यह सच है कि सही और सौ प्रतिशत सफलता की हामी देनेवाला निर्णय चुटकी बजाकरनहीं लिया जाता। जब हम कुछ बातें लगातार करते रहते हैं तब सही निर्णय लेने की हमारी पात्रता स्वतः ही बढ़ती जाती है।
आइए, जानते हैं उन आवश्यक कदमों को जिनके सहारे हम निर्णय लेने की कला में माहिर बन जाएँ।
1) उपलब्ध विकल्पों के सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलुओं पर मनन:
कुछ निर्णय लेते वक्त एक इंसान के सामने दो या उससे भी ज़्यादा विकल्प उपलब्ध होते हैं। ऐसे में कौन सा चुनाव करें, यह उसे समझ में नहीं आता। इस कन्फ्युजन की अवस्था से बाहर निकलने के लिए उपलब्ध विकल्पों के सभी सकारात्मक और नकारात्मक पहलू देखें। उसके बाद कौन सा चुनाव बेहतर होगा, इसके बारे में सोचें। आपको अपनी पसंद के क्षेत्र में करिअर करना है तो वहाँ भी भिन्न-भिन्न पर्याय होते हैं। जैसे, किसी इंसान को यदि संगीत क्षेत्र में नाम कमाना है, वह गाता भी है और कोई वाद्य भी सुंदरता से बजाता है। तो उसे गायक बनना है या वादक या दोनों का मेल साधना है, यह निर्णय लेना पड़ेगा। इसके लिए उपलब्ध पर्यायों के सारे पहलुओं को गंभीरता से जाँचें।
2) अपनी काबिलीयत पहचानें:
सही निर्णय लेने के लिए आपको अपनी योग्यता पहचाननी होगी। जिसके लिए आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, यह जाँचें। अर्थात आपकी ताकत (स्ट्रेन्थ) और कमजोरी (विकनेस) के बारे में मनन करें। अन्यथा अगर आपने अपनी मर्यादाओं को नहीं पहचाना तो लक्ष्य प्राप्त करते समय आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
जैसे, उपरोक्त उदाहरण में उस इंसान ने गायन का क्षेत्र ही करिअर के तौर पर चुना। लेकिन उसकी मर्यादा यह थी कि उसका गला हर तरह का गाना गाने के लिए तैयार नहीं था, जिसके परिणामस्वरूप गायन क्षेत्र में आगे बढ़ते वक्त उसे दिक्कते आईं। अतः निर्णय लेने के लिए अपनी क्षमता पहचानें।
3) जिम्मेदारी लेना सीखें:
सही निर्णय लेने के लिए जिम्मेदारी लेना भी एक महत्वपूर्ण कदम है। जिससे इंसान उसके कर्तव्यों के प्रति सजग हो जाता है। परिणामस्वरूप, काम में टालमटोल करना, काम के प्रति लापरवाह होना, ऐसी नकारात्मक वृत्तियों के लिए जगह ही नहीं बचती।
4) गलतियों से सीखें:
कईं मशहूर हस्तियों ने अपनी गलतियों का इस्तेमाल अपने विकास के लिए किया है। उन्होंने गलतियों से सीख प्राप्त की, न कि उन्हें दोहराने की गलती की। थॉमस एडिसन ने बिजली का आविष्कार किया, यह तो सभी जानते ही हैं। मगर इस खोज के लिए वे लगातार कईं सालों तक मेहनत करते रहे। इस खोज के दौरान एडिसन को हजारों बार असफलता का सामना करना पड़ा तब जाकर उनके प्रयोग को सफलता मिली। इस बीच वे पूरी लगन और निष्ठा के साथ अपनी गलतियों से सीखते रहें, जिससे आगे चलकर बिजली का आविष्कार हुआ।
अतः सही निर्णय लेने की कला में निपुणतः हासिल करने के लिए एडिसन की तरह गलतियों से सीखें। जैसे अगली बार जब आप किसी इंटरव्यू के लिए जाएँगे तब पहले की हुई गलतियों से सीखकर, उन्हें न दोहराएँ। याद रखें, जीवन की हर गलती आपकी गुरु बन सकती है, यदि आपने उससे कोई सीख हासिल की।
5) ‘हाँ’ और ‘ना’ दोनों पर अटल रहें:
सही निर्णय लेते वक्त ये दो बातें अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं। कुछ निर्णय लोगों के दृष्टिकोण से सही हो सकते हैं मगर आप उन्हें गलत मानते होंगे। इसके विपरीत कुछ निर्णय लोगों को गलत लग सकते हैं मगर आपको वे सही लगते हैं। ऐसे समय पर अपने निर्णयों पर अटल रहना सीखें। जैसे, किसी बड़ी कंपनी का सी.ई.ओ. अपना ओहदा त्यागकर पूरा समय सामाजिक सेवा में देना चाहता है। अपना पद त्यागने का यह निर्णय सुनकर उसके आसपास के बाकी के लोग नाराज़ होते हैं। वे उसे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की सलाह देते हैं। उस वक्त उस इंसान को अपनी नौकरी के ना पर और सामाजिक कार्य के हाँ पर डटे रहना होगा। तब जाकर वह अपना मकसद पूरा कर पाएगा।
6) छोटी-छोटी बातों से शुरुआत करें:
रसोई सीखने के पहले ही दिन किसी ने यह सोचा कि ‘आज मुझे पूरा खाना बनाना आना ही चाहिए’ तो क्या यह मुमकिन है? नहीं बल्कि रसोई सीखते वक्त सबसे पहले उसे सारे मसाले, दाल, सब्जियाँ इत्यादि के बारे में जानकारी हासिल करनी होगी। उसके बाद अलग-अलग सामग्री का सही उपयोग कैसे किया जाता है, यह समझना होगा। बाद में एक-एक करके आसान व्यंजनों को सीखना होगा। जैसे-जैसे वह इंसान आसान डिशेश बनाना सीखता जाएगा, वैसे-वैसे बड़े व्यंजन बनाने के लिए उसकी तैयारी होती जाएगी। उसके बाद बड़े से बड़ा व्यंजन बनाना या हर प्रांत का पदार्थ बनाना, उसके लिए आसान होगा। इन सबका तात्पर्य है कि सही निर्णय लेने के लिए छोटे-छोटे निर्णयों पर किया गया अमल सहायक होता है।
7) अलग-अलग घटनाओं में लिए गए निर्णयों को लिखकर रखें:
किसी निर्णय को पूरा करने के लिए कुछ समय अवश्य लगता है। इस बीच निर्णय को अंजाम देते वक्त आपको दुविधा में डालनेवाली घटनाएँ भी हो सकती हैं। तब आपने उन कठिनाइयों को कैसे दूर किया, अपनी दुविधा को कैसे हटाया या उदासी को कैसे पराजित किया, ऐसी महत्वपूर्ण बातों को अपनी डायरी लिखकर रखें। आगे चलकर अगर वैसी ही दिक्कतों का सामना आपको दोबारा करना पड़ा तो डायरी की मदद से आप कम समय में दिक्कतों के बावजूद आगे बढ़ पाएँगे।
इन छोटे छोटे कदमों को अपनाते हुए आपका आत्मविश्वास ज़रूर बढेगा। फिर एक समय ऐसा आएगा जब आप बड़े से बड़ा निर्णय भी सजगता और पूरे विश्वास के साथ ले पाएँगे। सही निर्णय लेने की कला सीखने की वजह से भविष्य में आपको अपने निर्णयों का पछतावा नहीं होगा। क्योंकि निर्णय लेते वक्त आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, उसके लिए कौन सी तैयारी करनी होगी, इन बातों का अंदाजा आप पहले ही लगा पाएँगे तथा उनके अनुसार आपके कार्य सहजता से होंगे।
ये सात कदम आपको सही और सफल निर्णय लेने में पूरी मदद करेंगे। सही निर्णय लेने से आपकी रचनात्मकता और अन्य छिपे हुए गुणों का विकास होगा। जिनके आधार पर आपका व्यक्तित्व विकसित होगा और आप एक सफल इंसान के रूप में जाने जाएँगे।
इस विषय पर विस्तार से जानने के लिए पढ़ें – सरश्री द्वारा रचित पुस्तक ‘निर्णय और ज़िम्मेदारी’ और सरश्री के मार्गदर्शन पर आधारित पुस्तक ‘निर्णय लेने का आसान तरीका’
~ सरश्री की शिक्षाओं पर आधारित
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