आमतौर पर ध्यान को एक जटिल विषय माना जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। यह सोच हमारे अज्ञानता की उपज है। प्राय: यह हमारी आदत होती है कि हम देखते हुए भी अंधे हो जाते हैं। यही ध्यान का एक मुख्य व्यवधान है। अनुभव के स्तर पर जाकर ध्यान के प्रयोग और उसके लाभ के बारे में स्वअनुभूति प्राप्त की जा सकती है। यह पुस्तक ध्यान जैसे जटिल विषय को सुगम बनाने की एक कालजयी रचना है।
इस पुस्तक में ध्यान विषय पर केंद्रित तेजगुरु सरश्री द्वारा दिए गए प्रवचनों का संकलन किया गया है। पुस्तक पॉंच भागों में विभक्त है। जिसके प्रत्येक भाग में विद्यार्थियों, खोजियों, शिष्यों, साधकों और भक्तों के लिए अलग-अलग दृष्टांत दिए गए हैं। संपूर्ण पुस्तक में ध्यान से संबंधित जिज्ञासासूचक 222 प्रश्नों का सरल समाधान समाहित है। जो मनुष्य के निर्विचार अवस्था को चित्त की एकाग्रता की ओर ले जाता है। पुस्तक के अध्ययन से ध्यान की परिभाषा इसकी आवश्यकताएँ और इससे होनेवाले लाभ से पाठक परिचित होते हैं। इसके अतिरिक्त पुस्तक में ध्यान की 7 विधियों और ध्यान सर्वेक्षण का विशेष उल्लेख किया गया है।
पुस्तक का मूल उद्देश्य पाठकों को ध्यान की संपूर्णता से परिचित कराकर उनका सर्वांगीण विकास कराना है। जिससे उन्हें सुख, शांति, वैभव और आरोग्य प्राप्त हो सके। पुस्तक सरल, सहज और रोचक भाषा में पाठकों को प्रभावित करनेवाली है।
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