लोक व्यवहार चुनने की आज़ादी आपके हाथ में
आश्चर्य की बात है कि इंसान अपना व्यवहार खुद चुनकर नहीं करता| उसका व्यवहार दूसरों के व्यवहार पर निर्भर होता है| जैसे ‘उसने मेरे साथ गलत व्यवहार किया इसलिए मैंने भी उसे भला-बुरा कहा… उसने मुझसे टेढ़े तरीके से बात की इसलिए मैंने क्रोध किया…’, ऐसी बातें तो अकसर आप सुनते व बोलते हैं| इसका अर्थ है कि सामनेवाला जैसा चाहे, वैसा व्यवहार हमसे निकलवा सकता है| यह दिखाता है कि हम बँधे हुए हैं| स्वयं को इस बंधन से मुक्त करने के लिए लोक व्यवहार की कला सीखें| इस पुस्तक से आप सीखेंगे –
* व्यवहार चुनने के लिए आज़ाद होने का मार्ग और उस पर चलने का राज़
* उच्चतम व्यवहार कब-कैसे किया जाए
* रिश्तों में सफलता हासिल करने के लिए लोक व्यवहार का सही तरीका
* मित्रता और रिश्ते निभाने की कला
* चार तरह के व्यवहार का ज्ञान
* सही समय पर सही व्यवहार कैसे किया जाए
* समग्र व्यवहार सीखने की विधि
* दर्द और दुःख में योग्य व्यवहार करने की कला
यह पुस्तक आपको मित्रता और रिश्ते निभाने तथा समग्र लोक व्यवहार की कला सिखाएगी| यह पुस्तक समग्र जीवन की कूँजी है| इस कूँजी द्वारा आप लोक व्यवहार कुशलता के खज़ाने का ताला बड़ी कुशलता से खोल पाएँगे|
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