रामकथा: आपकी अपनी आंतरिक कथा
श्रीराम के महाजीवन की गाथा ‘रामायण’ सदियों से लोगों की आस्था, भक्ति और जीवनमूल्यों का आदर्श रही है| समय-समय पर इस महागाथा को विश्व के विभिन्न रचनाकारों ने अपनी भाषा में, अपने दृष्टिकोण और समझ के साथ पुनः प्रस्तुत किया है| तेजज्ञान के प्रकाश में रचित इस ग्रंथ में भी एक विशेष प्रयास किया जा रहा है|
इस पुस्तक का मूल उद्देश्य श्रीराम के जीवन के सदियों पुराने प्रसंगों को, उनके पीछे छिपी सार्थक समझ के साथ प्रस्तुत करना है ताकि पाठकगण इन कथाओं से सही समझ प्राप्त कर, उनका पूरा-पूरा लाभ ले सकें| यह महागाथा एक ऐसे सागर की तरह है जिसमेंें समझ के अनगिनत मोती बिखरे पड़े हैं| जरूरत है तो बस इसमें गोता लगाकर उन्हें खोज निकालने और जीवन में उतारने की| ऐसा होने पर ही रामकथा अपने सच्चे उद्देश्य को सार्थक करेगी|
इस पुस्तक से आपको एक महत्वपूर्ण समझ प्राप्त होगी कि रामायण अतीत में घटी पौराणिक घटना नहीं बल्कि हमारे भीतर ही सतत चल रहे मनोभावों की गाथा है| वास्तव में आपका जीवन ही चलती-ङ्गिरती रामकथा है| इस पुस्तक का प्रत्येक प्रसंग पढ़ने के बाद पाठक अपने भीतर ही डुबकी लगाकर खोज करेगा कि इस समय वह रामायण का कौन सा चरित्र है, कब उसके भीतर राम पैदा होते हैं, कब उनका वनवास होता है, कब वह मंथरा बन जाता है और कब रावण होता है? उसके भीतर हनुमान बनने की क्या संभावनाएँ हैं?
इस खोज के आधार पर हरेक अपने जीवन को सही समझ के साथ, सही दिशा में आगे बढ़ा सकता है| यह ग्रंथ उसका हर पल, हर मनोभाव में मार्गदर्शन करेगा|
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