परमात्मा की खोज क्यों हो रोज़
कपड़ों पर आए दागों को बड़ी खूबसूरती से दूर करने के लिए, किसी ऐसे चित्रकार के स्पर्श की आवश्यकता होती है, जो दागों को फूलों में परिवर्तित कर दे… ठीक वैसे ही आपके जीवन को परमात्मा के स्पर्श की आवश्यकता होती है। तो स्वयं से पूछें कि क्या आपके जीवन में परमात्मा का स्पर्श हुआ है? यदि नहीं! तो परमात्मा की खोज रोज़ होनी चाहिए। सोचकर देखें…
* जब कोई इंसान सफलता की खोज शुरू करता है तब सभी रिश्तेदार उसे बधाई देते हैं।
* वह जब कुर्सी (पोस्ट) की खोज शुरू करता है तो अड़ोस-पड़ोस के सारे लोग उसे प्रोत्साहन देते हैं।
* किसी को यदि आप कहें कि ‘मैं करोड़पति बनने जा रहा हूँ’ तो सारे लोग तालियाँ बजाने के लिए तैयार होते हैं।
* अगर आप राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं तो विरोधी पार्टी छोड़कर सारी प्रजा आपके लिए तैयार होती है।
* सिर्फ पति भी बनने जा रहे हैं तो पूरी बारात आपके साथ चलती है।
मगर… ‘हम जो हकीकत में हैं’, वह बनने के लिए कोई आपको प्रोत्साहित नहीं करेगा, आप परमात्मा की खोज करने जा रहे हैं तो कोई आपके लिए ताली नहीं बजाएगा। यह ताली आपको स्वयं के लिए बजानी होगी।
यह ताली आप तब बजा पाएँगे, जब आप परमात्मा की खोज को सबसे महत्वपूर्ण मानेंगे। यदि आपके भीतर परमात्मा प्राप्ति की सच्ची प्यास है तो यकीन मानिए परमात्मा आपसे केवल ७ कदम दूर है। इन ७ कदमों की यात्रा आप इस पुस्तक द्वारा पूर्ण कर सकते हैं।
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