मौन अपने आपमें किया जानेवाला एक ऐसा संवाद है, जिसके जरिए हमें अपने सभी प्रश्नों के उत्तर मिल सकते हैं। इसलिए अकसर जब हमारा मन बेचैन होता है तो हमें ध्यान और चिंतन करने की सलाह दी जाती है। लेकिन किसी भी चीज की तलाश की शुरुआत प्रश्न पूछने के जरिए होती है और इसलिए प्रस्तुत पुस्तक में प्रश्नों को अत्यंत महत्त्व दिया गया है।
सत्य की खोज तभी संभव है जब कोई उसके बारे में प्रश्न करता है। इनमें से कुछ प्रश्न आपके बाह्य विकास से संबंधित होते हैं और कुछ आंतरिक विकास पर आधारित होते हैं।
यह पुस्तक सात खण्डों में विभाजित है और प्रत्येक खण्ड ऐसे ही सवाल और जवाबों से भरा हुआ है। केवल उनके संदर्भ अलग हैं- अध्यात्म, दैनिक जीवन में आनेवाली समस्याओं संबंधी प्रश्न, ईश्वर, आत्मक्षात्कार, आत्मबोध व्यवसाय इत्यादि।
दरअसल ये प्रश्न सृष्टि को जानने के रहस्य हैं, जिनके जवाब ईश्वर ने संकेतों के माध्यम से कहीं छिपा दिए हैं और हमें उन संकेतों को समझते हुए उन रहस्यों को जानना है। पुस्तक की भाषा अत्यंत सरल और सहज है। इतने गंभीर विषय को लेखक इतनी आसानी से कह देते हैं। यदि आप भी जीवन-रहस्यों व सत्य की खोज में हैं तो यह पुस्तक उन तक पहुँचने का मार्ग बन सकती है।
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