कुछ कर गुजरने के जुनून और ऊर्जा के उत्साह से भरी होती है किशोरावस्था लेकिन इसमें कन्फ्यूजन भी बहुत होता है| वे खुद को साबित कर दिखाना चाहते हैं लेकिन लोग अकसर उन्हें यह कहकर खारिज कर देते हैं कि ‘छोड़ो, अभी बच्चा है|’
आखिर कोई किशोर खुद को कैसे इतना विश्वसनीय बना सकता है कि जिंदगी के किसी भी क्षेत्र में कामयाबी उसके कदम चूमे? सरश्री की पुस्तक ‘नींव ९० ङ्गॉर टीन्स : बेस्ट कैसे बनें’ इसी सवाल का सटीक जवाब देती है|
तेजज्ञान ग्लोबल ङ्गाउण्डेशन द्वारा कई भाषाओं में प्रकाशित इस पुस्तक के हिंदी संस्करण की भाषा सरल, सहज और मन पर सीधा असर करनेवाली है|
यह पुस्तक बताती है कि आप अपने व्यक्तित्व की नींव को किस प्रकार इतना मजबूत कर सकते हैं कि लोग आपके कायल हो जाएँ| कोरे प्रवचनों की जगह समकालीन उदाहरणों और रोचक कहानियों से बुनी यह पुस्तक किसी रोडमैप की तरह कदम-दर-कदम किशोंरों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती है| वाकई यह वास्तविक अनुभवों के निचोड़ से बनी एक ऐसी प्रेरक किताब है, जिसे हर किशोर को डिक्शनरी और एटलस की तरह अपनी बुकशेल्ङ्ग में जगह देनी ही चाहिए!
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