चौथे सवाल का जवाब है – मूर्ति उपासना रहस्य
कुछ सवाल ऐसे हैं, जो आज तक सवाल ही बनकर रह गए हैं। कर्इं लोगों ने इनके जवाब दिए हैं लेकिन फिर-फिर से इन सवालों को उठाया जाता है। ये सवाल हैं- ईश्वर है या नहीं? सरश्री ने इसके जवाब में कहा है, ‘ईश्वर ही है, तुम हो कि नहीं, पहले यह पक्का करो, पता करो।’
दूसरा सवाल है- कर्म बड़ा या भाग्य बड़ा? तीसरा सवाल है- मरने के बाद जीवन है या नहीं है? चौथा सवाल है- मूर्तिपूजा करें या न करें? ईश्वर निर्गुण निराकार है या सगुण साकार है?
प्रस्तुत पुस्तक में इस चौथे सवाल को उठाया गया है। पाठकों से निवेदन है कि पुस्तक पढ़ते वक्त बीच में कोई राय कायम ना करें। यह पुस्तक एक छोटा सा प्रयास है, सत्य के खोजियों के लिए। खोजी यानी जो सत्य की खोज में निकल पड़ा है और सत्य ने उसे खोज लिया है। जब सत्य (ईश्वर) हमें खोज लेता है, चुन लेता है तब ही हममें प्यास जाग्रत होती है।
उम्मीद है कि आप भी एक खोजी हैं और आपके मन में इस वक्त ऐसा कोई सवाल नहीं है कि यह पुस्तक पढ़ें या ना पढ़ें!
हमें पूर्ण विश्वास है कि इस पुस्तक में दी गई समझ को आत्मसात कर, आपके मूर्तिपूजा संबंधि समस्त भ्रम मिटेंगे और आप निराकार-साकार, आस्तिक-नास्तिक इन सभी लेबल से परे होकर शुद्ध सत्य (ईश्वर) को जान पाएँगे।
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