हर सूरत में ईश्वर की मूरत
नाम की माला जपकर देव हो जाने की यात्रा है नामदेव का जीवन। अपना असली नाम जपकर हर कोई यह चमत्कार कर सकता है, बशर्ते कि उसे नाम की सही पहचान हो।
संत नामदेव ने अपने अभंगों द्वारा बखूबी यह पहचान कराई। ईश्वर को मंदिर की मूर्तियों में देखने के बदले अपनी मूरत में उसका दर्शन कराने की करामात उन्होंने की। आज इतने सालों बाद भी उनके अभंग उतने ही उपयुक्त हैं, जितने सात सौ साल पहले थे।
आज अधिकांश लोग दो धाराओं में बँटे हैं। आस्तिक और नास्तिक। जहाँ आस्तिक रीति रिवाजों व धार्मिक कर्मकाण्डों में उलझे हैं, वहीं नास्तिक हर बात को तर्क में तौलते हैं। संत नामदेव ने कुरीतियों पर प्रहार कर और व्यक्ति को तर्क से मुक्त कर ‘हर सूरत में ईश्वर मूरत’ का ज्ञान फैलाया।
संत नामदेव के जीवन में अनेक चमत्कार हुए। जिन्हें आज की पीढ़ी अविश्वास की नज़र से देखती है। पुस्तक में आप इन चमत्कारों के पीछे का रहस्य जानकर एक ऐसी दृष्टि पाएँगे, जिससे आपको अपने ही जीवन में घटनेवाले चमत्कार भी सहजता से दिखाई देंगे। तो चलिए… तैयार हो जाइए एक नई आँख पाकर उसी पुराने जीवन को नए आयाम से देखने के लिए…।
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