कर्म समर्पण और कर्म ही फल कैसे बने जहाँ विज्ञान है वहाँ सिद्धांत है और जहाँ सिद्धांत है वहाँ सूत्र भी होते हैं। इंसान कर्म तो कर रहा है लेकिन उसके मन में यही विचार होते हैं कि इसके बदले में मुझे कुछ मिलना चाहिए। उसका ध्यान फल में ही लगा रहता है इसलिए कर्म की गुणवत्ता निम्न हो जाती है। ऐसा कर्म न आनंद देता है, न मुक्ति।
जब आपसे निष्काम कर्म होते हैं तब आपके कर्म ही आपके लिए फल बनते हैं, महाआनंद और मुक्ति का कारण भी बनते हैं। यह तभी संभव होगा जब आप कर्म नियम के सूत्रों को जानकर उन्हें अपने जीवन में उतारेंगे।
यह पुस्तक आपको सिखाएगी –
* कर्मों के पीछे से झाँक रहे, अपने चार चेहरों को पहचानना
* दूसरों के कर्मों से स्वयं को दूर रख पाना
* श्रेय न लेने से कर्मों के फल पर होनेवाला असर
* कर्म ही सफल फल कैसे बनता है
* हर कर्म के साथ कर्म नियम सूत्र जुड़ता है तो कर्म की गुणवत्ता कैसे बढ़ती है
* पाँच तरह की कामनाओं से मुक्त होकर, जीवन सफल कैसे बनता है
* कर्म को अभिनय बनाने से आनंद की अवस्था कैसे आती है
* तीन तरह के कर्मर्पण करने से महाफल के द्वार कैसे खुलते हैं
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