कभी-कभी हमारे मन में यह जिज्ञासा आती है कि मैं कौन हूँ, ईश्वर कौन है, मैं कौन नहीं हूँ इत्यादि। जब ऐसी जिज्ञासाओं का कोई हल नहीं मिलता, तो हमारे अंदर संशय और बेचैनी पैदा हो जाती है जिसका परिणाम यह होता है कि हमारा जीवन नकारात्मक विचारों के दुष्परिणामों से प्रभावित होता रहता है तथा हमारा चेतन विश्वास तथा अज्ञानता के भॅंवर में गोते लगाता रहता है। यह पुस्तक हमारी इन्हीं जिज्ञासाओं को शांत करती है। इस पुस्तक के माध्यम से हम “अपनी पूछताछ’ का मार्ग तलाश सकते हैं और अपने मनोशरीरयंत्र की पूछताछ ईमानदारी के साथ करते हुए “समझ’ की मंजिल पा सकते हैं। पुस्तक मूलतः 6 खण्डों में विभाजित है, जिसके प्रथम खण्ड में “मशहूर मंत्र’ यानी “अपने होने के एहसास’ की कला समझाई गई है। अन्य खण्डों में “ईश्वर कौन’, “मैं कौन नहीं’ “मनोशरीर यंत्र कौन’, “मैं कौन’ और अन्त में “गुमनाम मंत्र’ के द्वारा हम अपनी पूछताछ की संपूर्ण विधि जानकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तक में प्रख्यात तेजगुरु सरश्री द्वारा शिष्यों द्वारा पूछे गए जिज्ञासा मूलक सवालों के सरल जवाब दिए गए हैं। ये सभी समाधान विषय की जटिलता को कम करके हमें स्व अनुभव की गहराइयो तक ले जानेवाले हैं। पुस्तक सरल भाषा और रोचक प्रसंगों द्वारा प्रस्तुत की गई है, जिसका पाठकों पर अमिट प्रभाव पड़ता है।
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