अमर विरासत
इतिहास के पन्नों में गुरु अंगद देवजी और गुरु तेग बहादुरजी की कहानियाँ सिर्फ शब्द नहीं बल्कि एक अमर विरासत हैं। गुरु अंगद देवजी, जिन्होंने सिख धर्म के मूल्यों को और अधिक मजबूत किया और गुरु तेग बहादुरजी, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया, दोनों ने हमें शक्ति और साहस की असीम प्रेरणा दी है।
गुरु अंगद देवजी ने गुरुमुखी लिपि की नींव रखी, जिसने सिख धर्म के शिक्षाओं को और अधिक सुलभ बनाया। उनका जीवन सेवा, समर्पण और सादगी का प्रतीक है। उन्होंने हमें सिखाया कि सच्चा धर्म वह है, जो समाज की सेवा करता है।
गुरु तेग बहादुरजी का जीवन वीरता और त्याग की एक अद्भुत मिसाल है। उनका बलिदान हमें याद दिलाता है कि अन्याय के खिलाफ खड़ा होना और दूसरों के अधिकारों की रक्षा करना ही सच्ची वीरता है। गुरु तेग बहादुरजी का बलिदान सिर्फ एक घटना नहीं बल्कि एक संदेश है, जो सदियों तक प्रेरणा देता रहेगा।
इन महान गुरुओं की शिक्षाएँ और उनकी विरासत आज भी हमारे जीवन में गहरा प्रभाव डालती हैं।
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