अपनी श्रद्धा की ताकत कहाँ समर्पित करें
श्रद्धा हर इंसान के अंदर है और सबका कोई न कोई आदर्श होता है। चाहे वह कोई देवी-देवता हो, कोई राजनेता हो, कोई फिल्म स्टार हो या कोई संत महात्मा हो। वह अपने आदर्श का अनुसरण करने की कोशिश करता है। क्या करें… क्या न करें… का चुनाव वह अपने आदर्श को सामने रखकर करता है। आपकी श्रद्धा किसमें है? आपका भविष्य इस पर निर्भर करता है कि आपने जिसे अपनी श्रद्धा समर्पित की है, उसकी श्रद्धा किसमें है? आगे चलकर वही स्थिति आपकी होगी। प्रस्तुत पुस्तक में इसी बात पर मार्गदर्शन दिया गया है कि श्रद्धेय का चुनाव कैसे करें। इसमें आप जानेंगे-
* दैवी और असुरी गुण क्या हैं?
* असुरी गुणों की गति क्या होती है?
* शास्त्र अनुकूल कर्म कैसे पहचानें?
* श्रद्धा कितने प्रकार की होती है?
* पूजा, आहार, तप, दान और यज्ञ के पीछे क्या भावना होनी चाहिए?
* शरीर, वाणी और मन संबंधी तप क्या हैं?
तो चलिए, इस पुस्तक के माध्यम से योग्य आदर्श को पहचानें और अपने भीतर दैवी गुणों का संचार करके, सात्विक श्रद्धा जगाएँ।
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