101 भजन जगाएँ हर मन में भक्ति
समुद्र का पानी सूरज की गरमी से भाप बनकर बादल का रूप लेता है, ठंडक पाकर जम जाता है और बारिश के रूप में पहाड़ों से बहता हुआ, नदी-नालों से गुज़रकर समुद्र से मिलने के लिए मचलता है और अंत में समुद्र से एकाकार हो जाता है। समुद्र से निकला हुआ पानी आखिर समुद्र में आकर मिल जाता है।
सत्य के प्यासे खोजी की यात्रा भी इसी तरह चलती है। ईश्वर, मनुष्य का रूप लेकर पृथ्वी पर आता है लेकिन स्वयं को भूल जाता है। फिर ज्ञान, ध्यान, सेवा और भक्ति मार्ग से गुजरते हुए खोजी, पहले ईश्वर की खोज करता है और अंत में ईश्वर में ही समाकर, जन-जन में भक्ति जगाता है।
सत्य की यात्रा में भक्त पहले बाहर की प्रकृति का गुणगान करता है और जैसे-जैसे उसकी समझ प्रगाढ़ होते जाती है, वह अंदर की प्रकृति का गुणगान भजन, दोहे, प्रार्थना, कविता गाकर इस तरह करता है-
भजन कोई क्रिया नहीं, ये तो है अहं का समर्पण,
गायक और गायन का, जहाँ हो जाता विलयन…
भजन है ईश्वर प्रेम का, एक प्यारा इज़हार,
भक्ति में डूबे मन में कोई, रह जाता न विकार…
भजन की शक्ति जानिए, हर पल हो सिमरन
भक्ति में बस एक बचे, खो जाए तन और मन…
भजन बनाए ऐसी अवस्था, ज्ञान ग्रहण हो पाए,
ईश्वर से संवाद साधकर, एकरूप हो जाए…
यह भजन संग्रह आपको भक्ति भाव में भिगोकर, ईश्वर के करीब पहुँचने में मदद करेगा। आपके अहं को पिघलाएगा। किसी भी पन्ने को खोलिए और घुल-मिल जाइए भजन के भावों के साथ!
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