जिस तरह संसार में जन्म लेने से पूर्व गर्भ में पल रहे नवजात शिशु पर नौ महीने गर्भ संस्कार किए जाते हैं, वैसे ही आपको भी इस ग्रंथ से मार्गदर्शन पाकर फिर से नौ महीने गर्भ में रहने का मौका मिलेगा। यह पढ़कर चौकिए मत बल्कि इस ज्ञान रूपी गर्भ का पूरा-पूरा लाभ लें। इसी से आपके पुराने संस्कार मिटते जाएँगे और नए संस्कार बनते जाएँगे। वरना लोगों की यह धारणा होती है कि गर्भसंस्कार केवल गर्भवती स्त्री के लिए जानने योग्य है। वे सोचते हैं, ‘बच्चा जब गर्भ में है तब गर्भसंस्कार हो।’ जबकि हकीकत यह है बचपन से लेकर बड़े होने तक इंसान की जो भी आदतें बन चुकी होती हैं, वे गलत वृत्तियों में परिवर्तित हो चुकी होती हैं। जिनसे मुक्ति पाने हेतु बड़ों पर भी गर्भ संस्कार होना जरूरी है और यह संभव है। इसी का रास्ता है यह ग्रंथ।
अधिकांश लोगों ने सत्यवान-सावित्रीकी पौराणिक कथा सुनी होगी। क्या आप जानते हैं कि उस कथा में आपके लिए कौैनसे अदृश्य इशारे छिपे हुए हैैंं? कथा की हर घटना आपको कोई न कोई संकेत देती है, सत्य की ओर इशारा करती है। यह पुस्तक सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कथा पर आधारित है। हकीकत में सावित्री हमारे शरीर का प्रतीक है। हर शरीर फिर वह स्त्री हो या पुरुष, सावित्री है और सत्यवान तेज अनुभव (ईश्वर) है।
सत्यवान-सावित्री की इस कथा को नए रूप में प्रस्तुत करके, आपको अपने अंदर के दस मूल विकारों से मुक्त करवाने का प्रयास इस ग्रंथ द्वारा किया जा रहा है। इन विकारों को मिटाने के लिए आपको दस अवतारों की जरूरत है, आपमें इन दस अवतारों को जगाने का कार्य यह ग्रंथ करेगा।
Reviews
There are no reviews yet.