लीडरशिप के विकास में एक नया आयाम- लीडरगम हनुमान
हमेशा से हनुमान को उनके गुणों द्वारा जाना गया है- कोई उन्हें रामभक्त हनुमान कहता है तो कोई महाबली हनुमान। ऐसे में उनके एक और गुण को प्रस्तुत करते हुए, उन्हें एक और नाम से पुकारती है यह पुस्तक। लीडरगम हनुमान। लीडरगम का अर्थ है, एक ऐसी लीडरशिप जो सभी लीडर्स को राह दिखाती है। हनुमान के साथ सभी तरह के लीडर्स (नायक) जुड़े थे। एक तरफ जहाँ भगवान श्रीराम थे तो दूसरी ओर लक्ष्मण जैसे महावीर थे। एक तरफ राजा सुग्रीव थे तो दूसरी ओर राजा विभीषण और नल-नील जैसे कुशल लीडर्स थे। इन सभी लीडर्स को एक लक्ष्य के साथ जोड़कर, ‘लीडरगम हनुमान’ अपने साथ लेकर चले। विश्व को आज ऐसे ही लीडर्स की आवश्यकता है जो अंतर्प्रेरणा से मार्गदर्शित होकर कार्य करते हैं। हनुमान ने सदा अपने हृदय में बसे सियाराम से मार्गदर्शन लिया इसलिए वे सच्चे लीडर कहलाए।हनुमान जैसे नायक अपने पद से लोगों को प्रभावित नहीं करते बल्कि अपने गुणों की शक्ति, ईमानदारी, मधुर वाणी और सबका विकास करने की इच्छा से प्रभावित करते हैं। हनुमान न केवल बाहुबली बल्कि आत्मबली, मनोबली व बुद्धिबली भी हैं। उनके ये सारे गुण रामायण के प्रसंगों में झलकते हैं। उन्होंने हर जगह सिर्फ अपने बाहुबल से जीत प्राप्त नहीं की बल्कि उन्होंने समय-समय पर अपने आत्मबल, मनोबल और बुद्धिबल को भी प्रदर्शित किया।
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