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विविधता में à¤à¤•à¤¤à¤¾ संजोठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और धरà¥à¤®à¥‹à¤‚वाला ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश’ विशà¥à¤µ में अपना अलग सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखता है। अपने परà¥à¤µ-तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और रीति-रिवाजों के लिठयह अनोखा देश माना जाता है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• खà¥à¤¶à¥€ के अवसर को तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उतà¥à¤¸à¤µ के रूप में मनाने की इस देश की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ परंपरा रही है। बारहों महीने कोई न कोई तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°, कोई न कोई उतà¥à¤¸à¤µ, यही इस देश की गौरवपूरà¥à¤£ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की पहचान है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• अवसर पर सà¥à¤–-शांति के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प किसी न किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के उतà¥à¤¸à¤µ का आयोजन इस देश में अनादिकाल से होता आया है। हमारे सारे परà¥à¤µ-तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° सारà¥à¤¥à¤• ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€ हैं।
हर तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° के पीछे à¤à¤• गहरा अरà¥à¤¥ है। यहाठजितने à¤à¥€ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° मनाठजाते हैं, वे सà¤à¥€ इशारे हैं। ये इशारे उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाठगà¤, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯ का अनà¥à¤à¤µ किया। वह अनà¥à¤à¤µ, जो शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में लाना संà¤à¤µ नहीं था इसलिठउसे हर यà¥à¤— में अलग-अलग तरीके से समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया। कà¤à¥€ उतà¥à¤¸à¤µ के रूप में, कà¤à¥€ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के रूप में।
इतने सारे तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के ज़रिठइशारा केवल उसी सतà¥à¤¯ की ओर किया गया है, जिसे लोगों ने अलग-अलग नाम दिठहैं -साकà¥à¤·à¥€, सेलà¥à¤«, चैतनà¥à¤¯ आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤•à¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤°, समाधि, तेज सतà¥à¤¯à¥¤ वह तेज सतà¥à¤¯, जो समय के पहले था, संसार के पहले था, अब à¤à¥€ है और सदा रहेगा।
आज जो à¤à¥€ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° मनाठजाते हैं, उनका गहरा अरà¥à¤¥ है, फिर चाहे वह होली हो, दिवाली हो, दशहरा, संक‘ांति, शिवरातà¥à¤°à¥€, नवरातà¥à¤°à¥€ या रकà¥à¤·à¤¾à¤¬à¤‚धन हों। यदि वह अरà¥à¤¥ समठमें आठतो सà¤à¥€ अंधशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤à¤, डर व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤à¤ नषà¥à¤Ÿ होंगी। जब यह समठआती है कि सà¤à¥€ देवी, देवताओं की पूजा और सà¤à¥€ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° जो मनाठजाते हैं, वे सिरà¥à¤« इशारें हैं तो आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होगा। तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का अगर सही अरà¥à¤¥ मालूम पड़ जाà¤, तो हमें दीपावली पूजन के वकà¥à¤¤ याद आà¤à¤—ा कि किसकी पूजा हो रही है, गणपती की मूरà¥à¤¤à¤¿ विसरà¥à¤œà¤¨ करेंगे तो समठमें आà¤à¤—ा कि किस का विसरà¥à¤œà¤¨ हम कर रहे हैं और महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ मनाते समय समठमें आà¤à¤—ा कि शिव तो हमारे à¤à¥€à¤¤à¤° ही है।
शिवरातà¥à¤°à¤¿ के दिन ही शिवलिंग (जà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग) पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हà¥à¤† है, जिसका अरà¥à¤¥ है आकार, निराकार à¤à¤• साथ। आकार इसलिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसे à¤à¤• विशेष शकà¥à¤² है और निराकार इसलिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसे आà¤à¤–, कान, नाक अथवा कोई इंसानी शकà¥à¤² नहीं दी गई है।
शिव का बाहà¥à¤¯ रूप आंतरिक गà¥à¤£ दिखा रहा है
शिव का तीसरा नेतà¥à¤°, सिर पर चाà¤à¤¦, गंगा बह रही है, नीलकंठये सब संकेत हैं। इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इंसान की आंतरिक अवसà¥à¤¥à¤¾ बताने की कोशिश की गई है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की गंगा आंतरिक अवसà¥à¤¥à¤¾ है, जो बता रही है कि अंदर कौन सा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। समठका नेतà¥à¤° बता रहा है कि जीवन की हर घटना को तीसरे नेतà¥à¤° से देखना सीखें। यह ईशà¥à¤µà¤° का गà¥à¤£ है। ईशà¥à¤µà¤° सà¤à¥€ को à¤à¤• ही नजर से देख रहा है। आप किसी को देख रहे हैं तो अपने आपसे पूछें कि ‘मैं कहाठसे देख रहा हूà¤?’ यदि आप तीसरे नेतà¥à¤° से देखेंगे तो दà¥:ख विलिन हो जाà¤à¤—ा और संसारी आà¤à¤–ों से देखेंगे तो दà¥:ख का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होगा।
संसारी आà¤à¤–ों से देखना यानी कोई इंसान आपके सामने से चला गया और उसने आपको देखा ही नहीं तो तà¥à¤°à¤‚त आपके मन में विचार आता है कि ‘शायद यह इंसान मà¥à¤à¥‡ पसंद नहीं करता। यह मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤¯à¤¾à¤° नहीं करता। उसने मेरी ओर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही नहीं दिया।’ इस तरह का विचार आना यानी आप उस छोटी घटना को संसारी आà¤à¤–ों से देख रहे हैं। जैसे पति-पतà¥à¤¨à¥€, à¤à¤¾à¤ˆ-बहन, मितà¥à¤° à¤à¤•-दूसरे के लिठà¤à¤¸à¤¾ सोचते हैं। लोगों के मन में सतत यह विचार आता रहता है कि ‘लोग मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤® ही नहीं करते… मà¥à¤à¥‡ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं देते…।’ यह संसारी आà¤à¤–ों से देखना हà¥à¤†à¥¤ इसके विपरीत यदि आप तीसरे नेतà¥à¤° से देखेंगे तो अपने आपसे कहेंगे कि ‘तà¥à¤® खà¥à¤¦ को पà¥à¤°à¥‡à¤® करते हो कà¥à¤¯à¤¾? खà¥à¤¦ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देते हो कà¥à¤¯à¤¾? अगर तà¥à¤®à¤¨à¥‡ खà¥à¤¦ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया होता तो कब के आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤•à¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ हà¥à¤ होते। तà¥à¤® असल में जो हो, उस पर कà¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया है कà¥à¤¯à¤¾?’ जो इंसान खà¥à¤¦ से पà¥à¤°à¥‡à¤® करता है, वह अपना और अपने सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ का जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खयाल रखता है। वह कà¤à¥€ जरूरत से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खाना नहीं खाता। यदि आप मनन और खोज करेंगे तो अपने जीवन में à¤à¤¸à¥‡ कई सारे लोगों को पाà¤à¤à¤—े, जो कहते हैं कि ‘सामनेवाला मà¥à¤ से पà¥à¤°à¥‡à¤® नहीं करता।’ कोई और आपसे पà¥à¤°à¥‡à¤® करता है या नहीं, इससे पहले यह जानें क
आप सà¥à¤µà¤¯à¤‚ से कितना पà¥à¤°à¥‡à¤® करते हैं। अगर आप सà¥à¤µà¤¯à¤‚ से पà¥à¤°à¥‡à¤® नहीं करते तो आप दूसरों से पà¥à¤°à¥‡à¤® की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ à¤à¥€ नहीं कर सकते इसलिठसबसे पहले सà¥à¤µà¤¯à¤‚ से पà¥à¤°à¥‡à¤® करना सीखें।
जब इंसान हर घटना को तीसरे नेतà¥à¤° यानी समठके साथ देखता है तो उसे आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होता है। आपको यही कला सिखाई जा रही है। तीसरे नेतà¥à¤° से देखना यानी ऑपरेशन करवाकर कोई तीसरा नेतà¥à¤° लगवाना या खà¥à¤²à¤µà¤¾à¤¨à¤¾ नहीं है। यह तो कृपा है कि मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤¸à¤¾ दिखाया गया है। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बनाई उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° से बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤® था मगर फिर à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ईशà¥à¤µà¤° की तीसरी आà¤à¤– बनाईं, चाहे मूरà¥à¤¤à¤¿ कैसी à¤à¥€ दिखे। जिसके पीछे उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ यह था कि वह मूरà¥à¤¤à¤¿ लोगों का मंगल करे, मंगलमूरà¥à¤¤à¤¿ बनें। लोगों को उस मूरà¥à¤¤à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ असली संकेत मिले। सिर पर चाà¤à¤¦ है यानी शीतलता है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ सिर ठंडा, शीतल, पवितà¥à¤° होना चाहिà¤, उसमें सातà¥à¤µà¤¿à¤• विचार होने चाहिà¤à¥¤
शिव ने कंठमें जहर थाम लिया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इंसान के कंठसे ही मैं-मैं निकलता है। उससे इंसान को संकेत दिया गया है कि तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ जहर कहाठहोना चाहिà¤à¥¤ वह हृदय (तेजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨) तक न जाठऔर उसे लोगों पर उगलना à¤à¥€ नहीं है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ कà¥à¤› लोग क‘ोध को पी लेते हैं तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हारà¥à¤Ÿ अटैक आता है और कà¥à¤› लोग क‘ोध उगल देते हैं। उनके क‘ोध से परेशान होकर लोगों को हारà¥à¤Ÿ अटैक आता है। इस तरह लोग या तो खà¥à¤¦ को अटैक देते हैं या दूसरों को। लोगों को जीवन कैसे जीना चाहिà¤, यह पता नहीं है और सिरà¥à¤« शिव की मूरà¥à¤¤à¤¿ ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ हर मूरà¥à¤¤à¤¿ बता रही है कि कैसे जीवन जीना चाहिà¤à¥¤ हर मूरà¥à¤¤à¤¿ में यह रहसà¥à¤¯ छिपा है।
शिव का डमरू à¤à¥€ à¤à¤• संकेत बता रहा है। उसमें आठनंबर की शकल आती है। वह अंदर और बाहर का हिसà¥à¤¸à¤¾ बताती है। शिवलिंग à¤à¥€ अंदर और बाहर का हिसà¥à¤¸à¤¾ बताता है। अंदर का हिसà¥à¤¸à¤¾ लोग नहीं समठपाते इसलिठडमरू से बताया गया है कि आपकी बाहर की और अंदर की जिंदगी को संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ रखें। आप डमरू बजा रहे हैं यानी संतà¥à¤²à¤¨ साध रहे हैं। दोनों आठके बीच में हृदय (तेजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨), सूकà¥à¤·à¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। जिसमें से बाहर जाना à¤à¥€ आसान है और अंदर जाना à¤à¥€ आसान है। यही तो टà¥à¤°à¥‡à¥‡à¤¨à¤¿à¤‚ग और टीचिंग है। सेंटर यानी केंदà¥à¤° पर रहकर डमरू बजाà¤à¤ वरना लोगोें का आठसंतà¥à¤²à¤¿à¤¤ नहीं होता। कà¥à¤› लोगों का ऊपर का शूनà¥à¤¯ बड़ा और नीचे का छोटा सा होता है। संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ लोगों का नीचे का शूनà¥à¤¯ बड़ा और ऊपर का बहà¥à¤¤ छोटा होता है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ आठके दोनों शूनà¥à¤¯ संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ नहीं होते। इसके विपरीत तेज संसारी का आठसंतà¥à¤²à¤¨ में होता है। वह दोनों शूनà¥à¤¯ को बजाता है। डमरू के दोनों शूनà¥à¤¯ को बजाना है यानी न संसार से à¤à¤¾à¤—ना है और न ही संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ बनकर बैठजाना है बलà¥à¤•à¤¿ दोनों को देखना है।
à¤à¤—वान शिव के तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल में तीन बातें आती हैं – शà¥à¤°à¤µà¤£, सेवा और à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¥¤ उस यà¥à¤— की à¤à¤¾à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल करà¥à¤®, जà¥à¤žà¤¾à¤¨, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। करà¥à¤®, जà¥à¤žà¤¾à¤¨, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से à¤à¥€ वही बात बताई जा रही है। तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल की तीन बातों से अपने तोलू मन पर नियंतà¥à¤°à¤£ पाकर उसे साधना है। साधना है यानी बॅलनà¥à¤¸ करना है। डमरू के दोनों शूनà¥à¤¯ को à¤à¤• साथ बजाना है। इस तरह आपने समà¤à¤¾ कि तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल कà¥à¤› बता रहा है, डमरू कà¥à¤› बता रहा है, हर चीज कà¥à¤› बता रही है। बैल को मंदिर के बाहर बिठा दिया और उसका मà¥à¤à¤¹ मंदिर की तरफ रखा। इसका अरà¥à¤¥ तोलू मन का मà¥à¤à¤¹ संसार की तरफ न हो बलà¥à¤•à¤¿ ईशà¥à¤µà¤° की तरफ, शिव की तरफ हो वरना बाहर उसे लाल कपड़े ही दिखाई देंगे तो वह बिदगते ही रहेगा।
इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ के दिन पर à¤à¤—वान शिव की मूरà¥à¤¤à¤¿ पर मनन करना चाहिà¤à¥¤ शरीर मातà¥à¤° शव है और जो जिंदा चीज़ है, वह शिव है। लेकिन इंसान अपने शरीर को ही शिव मान लेता है। शिव यानी आंतरिक अवसà¥à¤¥à¤¾à¥¤ जब आप ‘मैं कौन हूà¤â€™ यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हैं, सà¥à¤µ अनà¥à¤à¤µ पर जाने लगते हैं तब आप शिव का अनà¥à¤à¤µ करते हैं।
शिव की तरह हम à¤à¥€ यदि मौत के डर पर विजय पाà¤à¤à¤—े और मन को साधना से वश में करेंगे तो हम सचà¥à¤šà¥‡ शिव à¤à¤•à¥à¤¤ कहलाà¤à¤à¤—े। यदि हम à¤à¥€ मन की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ को महतà¥à¤¤à¥à¤µ देंगे तो शिव की सचà¥à¤šà¥€ पूजा कर पाà¤à¤à¤—े। जैसे शिव गंगा (जà¥à¤žà¤¾à¤¨) को सà¤à¥€ तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ में निमितà¥à¤¤ बनें, वैसे हम à¤à¥€ सचà¥à¤šà¥‡ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को दूसरों तक सही मातà¥à¤°à¤¾ में पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ में सहायक बनें। अपने à¤à¥‚ठे अहम (मैं मैं) को कंठमें ही रखें और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को अमृत बाटें। ये सब बातें वही इंसान कर पाà¤à¤—ा, जिसने समà¤à¤¾ है शिव शकà¥à¤¤à¤¿ रहसà¥à¤¯à¥¤
~ ​सरशà¥à¤°à¥€
4 comments
Ram Kishore Verma
Wah Wah kya bat hai. Puri Gyan ganga ka pravah ho raha hai. Giam Ganga me khub dubki lagao.Dhanyavad Sirshree
Rakesh Rajendra kamble
Dhanyawad sirshree
सà¥à¤à¤¾à¤· दिघे
महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ मनाना याने शिव जी के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ पर मनन करके अपने अंदर लाना, विकसित करना। आकार से निराकार की तरफ जाना।
Shital Nehere
Dhanyawad Sirshree ðŸ™ðŸ™