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‘सवाल’ आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें हमें आत्मसाक्षात्कार तक पहुँचाने की ताकत होती है।
कुछ सवाल इंसान में बचपन से ही मौजूद होते हैं। इंसान कई सदियों से ये सवाल पूछता आया है जैसे मैं कौन हूँ? मैं पृथ्वी पर क्यों हूँ? इत्यादि। ये सवाल आपके मन में भी कभी न कभी जागे होंगे। ये प्राचीन और गहरे सवाल हैं जो समय के साथ अपना महत्त्व खोते जा रहे हैं।
यदि आप किसी ऐसी जगह फँस जाएँ जहाँ से आप कहीं जा न सकें और न आपसे बात करने के लिए कोई हो। ऐसे समय पर भी सवाल आपके लिए सहारा बन सकते हैं, न केवल आपको स्वस्थ-चित्त रखने के लिए बल्कि आपकी आध्यात्मिक उन्नति का साधन बनने के लिए भी। सवाल आपको सशक्त करनेवाले होने चाहिए, न कि आपकी शक्ति कम करनेवाले जैसे ‘मैं ही क्यों?’, ‘यह सब कब खत्म होगा?’ ‘सामनेवाला कब बदलेगा?’ इत्यादि। ऐसे सवाल आपको केवल नकारात्मक चक्रव्यूह में ढकेलते हैं।
आइए, कुछ गहरे सवालों पर नज़र डालें जो आपको स्वतः ही आध्यात्मिक उन्नति और सच्चे आनंद की ओर अग्रसर कर सकते हैं। उदाहरणार्थ किसी भी नकारात्मक घटना को मजबूरी में स्वीकार करने से अच्छा है कि हम पहले स्वयं से सवाल पूछें, ‘क्या मैं इसे स्वीकार कर सकता हूँ?’ यह सवाल आपको मदद करेगा कि आप सहजता से, बिना किसी विरोध के घटना को स्वीकार कर पाएँ।
साल 2015 में हर महीने एक आध्यात्मिक सवाल लें और उस पर मनन करें। आइए, नए साल की शुरुआत इस सवाल के जवाब से करें कि ‘मैं इस साल स्वयं से कौन-कौन से सवाल पूछनेवाला हूँ?’
आपके लिए 2015 का पहला सवाल : क्या वह मूर्ति मेरे अंदर प्रकाशित है, जिसे बार-बार देखने की तमन्ना है? यह सवाल उस चैतन्य की याद दिलाने के लिए है जो आपके चारों ओर है और जो आपके अंदर मूर्ति स्वरूप है। यह सवाल आपको जाग्रत रखेगा कि आप अपने दिव्य स्वभाव की ओर जा रहे हैं या उससे दूर जा रहे हैं। जब भी आप अपनी नकारात्मक वृत्तियों में उलझें या किसी मान्यतावश स्वयं को मायूस पाएँ, तब तुरंत स्वयं से यह सवाल पूछें। यह सवाल पूछते ही आप अपने दिव्य स्वभाव में स्थापित हो जाएँगे।
आपके लिए 2015 का दूसरा सवाल : यदि आत्मसाक्षात्कार से पूर्व आज आपका आखिरी दिन है तो आप आज कैसे जीएँगे? इस सवाल को अच्छी तरह समझ लें। सवाल यह नहीं है कि यदि आज आपकी जिंदगी का आखिरी दिन हो तो आप कैसे जीएँगे? बल्कि सवाल यह है कि यदि कल आपको आत्मसाक्षात्कार मिलनेवाला है तो आप आज का दिन कैसे जीएँगे? कल मिलनेवाले आत्मसाक्षात्कार की तैयारी आप आज कैसे करेंगे? आत्मसाक्षात्कार होते ही द्वैत्व यानी ‘दो की भावना’ समाप्त हो जाती है। वह व्यक्ति (अहंकार) जो आज तक स्वयं को औरों से अलग समझता आया था, वह कल से नहीं रहेगा तो आज आप कैसे जीएँगे? यह सवाल पूछने पर आप पाएँगे कि यह आपके अच्छा-बुरा, भूत-भविष्य के लेबलों को खत्म कर देता है और आपको वर्तमान में लाता है जहाँ आप अहंकार रहित अवस्था में उपस्थित होते हैं।
आपके लिए 2015 का तीसरा सवाल : कैसे बनूँ मैं क्षमाप्रार्थी और किसे मिलेगी क्षमा प्राप्ति? यहाँ ज़ोर-ज़बरदस्ती से क्षमा करने या माँगने की बात नहीं की जा रही है। यह सवाल पूछकर आप अपने मन में दिनभर की घटनाओं का मुआयना करते हैं और देखते हैं कि कहाँ-कहाँ बंधनों की लकीर खिंच गई है। स्वयं को बंधन मुक्त करने के लिए, जिससे भी क्षमा माँगनी है उससे मन में ही क्षमा माँगें और जिसे भी क्षमा करना है उसे मन में ही क्षमा करें। यदि आप सामनेवाले से कुछ पूर्णता करना चाहें तो वह भी बातचीत करके कर लें। हमेशा याद रखें कि आप क्षमा के कुबेर हैं और आप जब चाहें अपने भीतर के क्षमा के खज़ाने का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आपके लिए 2015 का चौथा सवाल : जिस भी चीज़ का मैं प्रतिरोध करता हूँ, उसका असली वज़न क्या है? इस महत्वपूर्ण सवाल को समझें। आप कई सुगंधों, भावनाओं, आवाज़ों, दृश्यों का प्रतिरोध करते हैं। ये ऐसी चीज़ें हो सकती हैं जिन्हें आप देखना या सुनना पसंद नहीं करते उदाहरण : दर्द, थकावट, नकारात्मक भावनाएँ जैसे दुःख या ग्लानि इत्यादि। ऐसे समय पर स्वयं से उपरोक्त सवाल पूछें। यह सवाल आपमें यह जाग्रति लाएगा कि क्या यह भावना वाकई इतना महत्त्व रखती है जितना महत्त्व मैं इसे दे रहा हूँ। जो दर्द आपको हो रहा है उसका वज़न (महत्त्व) 10 ग्राम है या 10 किलो? यह सवाल आपको चीज़ों को जैसा है वैसा देखना सिखाएगा। फिर मन छोटी घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं कर पाएगा।
आपके लिए 2015 का पाँचवाँ महत्वपूर्ण सवाल है : तुम्हें (ईश्वर को) जो लगे अच्छा क्या वही है मेरी इच्छा? कई लोग केवल बोलने के लिए बोलते हैं कि ईश्वर की इच्छा ही उनकी इच्छा है। जब आप यह सवाल स्वयं से पूछेंगे तो आप सही मायनों में ईश्वर के प्रति समर्पित होने में कामयाब होंगे। यह सवाल सुनिश्चित करता है कि आपके द्वारा दिव्य (भक्तियुक्त) प्रतिसाद निकले। 2015 में इस सवाल द्वारा स्वयं में भक्ति जगाएँ।
आपके लिए 2015 का छठा सवाल : सामनेवाला इंसान किस मोती के बराबर है यानी वह कौन सा दिव्य किरदार निभा रहा है? इस सवाल द्वारा आप दूसरों को केवल एक शरीर की तरह नहीं बल्कि मोतिस्वरूप ईश्वर के चमत्कार के रूप में देखेंगे। यह सवाल आपको मदद करेगा कि आप दूसरों को अपने जीवन में समस्या निर्माण करनेवाले की तरह नहीं बल्कि ईश्वर की दिव्य योजना के सहनिर्माता की तरह देखें। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। यदि आप तय करते हैं कि आपको साहसी, निडर बनना है तो ऐसा कोई आपके जीवन में आएगा जो आपको भयभीत करेगा। वह इंसान आपका सहनिर्माता है। ऐसे लोगों को आप अपने जीवन में देखना नहीं चाहते परंतु ये ही लोग आपके जीवन में मोति (सहनिर्माता) हैं, जिनके कारण आप अपने तय किए गए लक्ष्य तक पहुँचेंगे। यह दृष्टिकोण रखने से आपके अंदर का विरोध विलीन हो जाएगा फिर चाहे यह विरोध बॉस-कर्मचारी में हो या सास-बहू में।
दिए गए छह सवाल सुझाव के रूप में आपको दिए गए हैं। आप चाहें तो अपने लिए कुछ और सवाल भी जोड़ सकते हैं। जैसे ‘जो दिख रहा है वह मेरा वहम है, सत्य है या तथ्य है?’ यह एक ऐसा सवाल है जो आपकी विवेक शक्ति को जगाता है। सही सवाल की यही शक्ति है कि ऐसे सवाल पर मनन करके और आत्मपरीक्षण करते हुए आप उच्चतम चेतना से जुड़े रह सकते हैं।
2015 यह साल आपके लिए एक ऐसा साल हो जिसमें सही सवाल की शक्ति द्वारा आपकी आध्यात्मिक उन्नति हो। यही शुभेच्छा है।
…सरश्री
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