क्या आपके विचार कुछ इस तरह हैं?
* ‘मैं ज़िम्मेदारी नहीं उठा पाता हूँ।’
* लोग कहते हैं कि ‘मैं कामचोर हूँ, आलसी हूँ।’
* ‘मुझे लगता है मैं घर की सभी पुरानी चीज़ों को फेंक दूँ पर घर के बाकी सदस्य 20-30 साल पुरानी चीज़ें भी सँभालकर रखते हैं, इससे मैं दुःखी होता हूँ।’
* ‘मेरे साथ अन्याय हुआ है।’
* मैं कई सालों से नौकरी के लिए अथक प्रयास कर रहा हूँ लेकिन सफलता मेरे हाथों में आते-आते फिसल जाती है।
* मुझे हमेशा परिवारवालों से शिकायत रहती है कि ‘वे मुझे समय नहीं देते।’
यकीन जानें, इस पुस्तक के मार्गदर्शन से आपके सभी दु:ख, अशांति, असंतुष्टि, स्वयं के या दूसरों के प्रति शिकायतें दूर होंगी। जब भी आपमें कोई शिकायत उठे तो स्वयं को याद दिलाएँ कि यह तो मन को प्रयोगशाला बनाकर उस पर खोज करने की सामग्री है। इससे आपके अंदर समझ की मशाल जाग्रत होगी और आप शिकायतशून्य जीवन का आनंद ले पाएँगे।
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