गुरु के महान कार्य और कुर्बानी
भारत देश में अध्यात्म को विशेष महत्त्व दिया जाता है। यहाँ अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं। सदियों से हर धर्म में कई सारे संतों और महापुरुषों ने अपने-अपने समय में लोगों को मार्गदर्शन दिया है। प्रस्तुत पुस्तक में हम सिख धर्म के दो महान गुरुओं के बारे में जाननेवाले हैं।
सिख धर्म का भारतीय धर्मां में अपना एक पवित्र स्थान है। गुरुनानक देवजी सिख धर्म के पहले गुरु और प्रवर्तक हैं। सिख धर्म में नानक जी के बाद नौ गुरु और हुए। इस पुस्तक में श्री गुरु अर्जुन देवजी और श्री गुरु गोबिंद सिंहजी के जीवनी पर प्रकाश डाला गया है।
श्री गुरु अर्जुन देवजी ने अपने जीवन का बहुमूल्य समय देकर गुरु ग्रंथ साहिब का निर्माण किया। इस ग्रंथ को श्री आदि ग्रंथ भी कहा जाता है। सारे सिख इसी धार्मिक ग्रंथ की शिक्षाओं का अनुकरण करते हैं।
सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंहजी ने अपने अंतिम समय में देहधारी गुरु की परंपरा को तोड़कर, गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु पदवी बहाल की। आज तक यह ग्रंथ लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
गुरु अर्जुन देवजी और गुरु गोबिंद सिंहजी ने अपने जीवन में कई सारे महान कार्य किए। इन दोनों गुरुओं ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाकर, अपने जीवन की कुर्बानी दी। ऐसे महान गुरुओं का प्रेरणादायी जीवन और उनकी शिक्षाओं को सहज, सरल भाषा में पाठकों के सामने लाने का यह एक अविरत सा प्रयास है।
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