बदलाहट – वरदान या अभिशाप
बदलाहट जीवन का सदाबहार नियम है। यह कुदरत से मिला हुआ वरदान है। बदलाहट ज़रूरी है ताकि विश्व में नए निर्माण हो पाएँ और आगे का विकास होता रहे। यह नियम न होता तो इंसान आज भी पुरानी सदी में जी रहा होता।
परिवर्तन आता ही है जीवन का संतुलन बनाए रखने के लिए। पुराना मिटता है तो उसके स्थान पर उसका नया और विकसित रूप आता है। यदि इंसान बदलाहट को सदाबहार वरदान समझे तो उसके जीवन में निरंतर विकास होता रहेगा। जैसे बच्चे के बड़े होने पर उसके लिए नए कपड़े, जूते लाए जाते हैं, वैसे ही इंसान के जीवन में बदलाहट से अनेक गुण विकसित हो जाते हैं।
इंसान बदलाहट को अभिशाप बना देता है। वह अपनी संकुचित सोच की वजह से बदलाहट को समूचा न देखकर मात्र एक ही पहलू देख पाता है। वह उसमें अपना विकास नहीं देख पाता। थोड़ी सी सुविधा पाने के लिए इंसान बदलाहट को अस्वीकार कर, प्रगति के सुनहरे अवसर ठुकरा देता है।
बदलाहट द्वारा उत्पन्न पलायन से बचने के लिए इस पुस्तक में पढ़ें :
* बदलाहट में छिपे संकेतों को कैसे देखें?
* मंज़ूरी देकर संपूर्ण सफलता कैसे पाएँ?
* अनुकूलनशील कैसे और क्यों बनें?
* बदलाहट को स्वीकार करने के लिए कौन सा मंत्र याद रखें?
* आंतरिक विरोध को कैसे समाप्त करें?
* संसार का अपरिवर्तित सत्य क्या है?
आइए, इस पुस्तक से बदलाहट को अभिशाप नहीं बल्कि वरदान बनाने का कौशल प्राप्त करें।
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