नारी कैसे जाने अपनी मौलिकता हर इंसान एक कच्चा मगर सच्चा हीरा है- फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। आत्मनिर्भरता वह जौहरी है, जो इस हीरे को तराशकर, उसकी चमक में चार-चाँद लगता है। इस पुस्तक में इसी आत्मनिर्भरता की नींव पर ही जीवन का लक्ष्य पाया जा सकता है। इसी से आत्मसम्मान जगता है, जिसे प्राप्त करके इंसान सफलता की ऊँचाइयाँ पाकर, उन पर टिका रह सकता है। इस पुस्तक द्वारा –
* आत्मनिर्भरता एवं मॉडर्निटी की नई परिभाषाएँ जानें।
* अपने गुणों के वरदान को अभिशाप बनने से बचाएँ।
* अपनी गलत आदतों को बदलकर, अच्छी आदतों को बल दें।
* अपनी मौलिकता पहचानें।
* सूक्ष्म रेखा को पहचानकर रिश्तों को सुधारें।
* पुरुषों की बराबरी से मुक्ति पाएँ।
* ध्यान, प्रार्थना और मनन करने के नए तरीके जानें।
इस पुस्तक में आनंदीबाई जोशी, राजमाता जिजाबाई, भुवनेश्वरी दत्त जैसी आत्मनिर्भर महिलाओं की मिसालें दी गई है। जिसका उद्देश्य यही है की कुछ सालों बाद, जब यह पुस्तक फिर से लिखी जाएगी तब उपरोक्त उदाहरणों की जगह आपका उदाहरण दिया जाए! इस पुस्तक के साथ आपने आत्मनिर्भर रूप की अनुभूति करने के लिए तैयार हो जाएँ!
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