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संत वैलेंटाइन रोमन काल में एक चर्च में पादरी थे| रोम के राजा ने घोषणा की कि शादीशुदा सिपाही राज्य के लिए किसी काम के नहीं हैं, अगर वे शादी कर लेते हैं तो उनका मन भटकता है और इसीलिए वह उन लोगों को सिपाहियों के रूप में बढ़ावा दे रहा था जिन्होंने शादी नहीं की और जिनका अपने रिश्तेदारों या परिवार के सदस्यों के प्रति किसी प्रकार का लगाव नहीं था| संत वैलेंटाइन ने इसका विरोध किया, नतीजन राजा ने उन्हें जेल में डाल दिया| बाद में इस घटना की वजह से संत वैलेंटाइन को ‘प्रेम का मित्र’ माना गया और उनके बलिदान की स्मृति में १४ फरवरी का दिन संत वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाने लगा|
किसी भी दिवस को मनाए जाने का कारण यह होता है कि लोगों को उसके पीछे का सच्चा उद्देश्य याद रहे| संत वैलेंटाइन डे मनाए जाने का सच्चा उद्देश्य यह है कि हम कुछ खास गुणों के महत्व को समझें और इन्हें अपने जीवन में बढ़ावा दें:
• संवेदनशीलता
• ग्रहणशीलता
• चीजों को समय पर शुरू करना और समाप्त करना ( वैल इन टाइम)
• समयबद्ध सेवा
• संसार को एक परिवार के रूप में देखना और प्रेम करना ( वसुधैव कुटुम्बकम)
जो ‘प्रेम के मित्र’ हैं, वे प्रेम के उन गुणों को प्रेम करते हैं जो संत तुकाराम, मीराबाई आदि महान आत्माओं में अभिव्यक्त होते हैं| आइए, इसके वास्तविक अर्थ को अधिक विस्तार में समझें|
प्रेम एकमात्र ऐसी चीज़ है जो देने से मिलती है, लेने से नहीं| प्रेम को पाने के लिए आपको ग्रहणशील होना चाहिए, सरल शब्दों में कहें तो ‘वैल ट्यून्ड’ होना चाहिए| वह रेडियो, जो ट्यून्ड होता है, स्विच ऑन करते ही तुरंत फ‘ीक्वेंसी को पकड़ लेता है| जबकि जो ट्यून्ड नहीं होता, उसे सेट करने में आपको समय बर्बाद करना पड़ता है| मानव जीवन के बारे में भी यही सिद्धांत लागू होता है| अगर हम वैल ट्यून्ड हो गए तो हमें जीवन के अंतिम सत्य को समझने में, इसे रिसीव करने में समय बर्बाद नहीं करना पड़ेगा| ग्रहणशील होने से ही कोई इंसान मानव जीवन के सच्चे उद्देश्य को समझ पाता है और उसे पूर्ण कर पाता है| जब आप मोबाइल फोन पर कोई कॉल रिसीव करना चाहते हैं तो आप उस स्थान पर पहुँचने का प्रयास करते हैं, जहॉं पर रिसेप्शन स्पष्ट हो, सिग्नल साफ आ रहे हो| इसी प्रकार आपको अंतिम सत्य को स्पष्ट तरीके से ग्रहण करने और सुनने के लिए खुद को ट्यून करना चाहिए|
मान्यताओं के वास्तविक अर्थ को समझने के लिए आपको अपनी ‘समझ’ का इस्तेमाल करना चाहिए न कि उन्हें केवल इसलिए मान लेना चाहिए कि बहुत सारे लोग ऐसा कह रहे हैं| संत वैलेंटाइन दिवस ‘वननेस’ अथवा ‘एकात्मता’ के इसी अर्थ को समझने और इसका महत्व जानने में सहायक है| आप किसी से भी प्रेम करते हों, किसी भी चीज़ से प्रेम करते हों, आपको उसके प्रति ग्रहणशील और संवेदनशील होना चाहिए| अगर आपकी चेतना का स्तर उठा हुआ नहीं है तो आपके द्वारा उच्च स्तर का प्रेम किया जाना भी संभव नहीं है|
ग्रहणशीलता का अर्थ है कई संकेतों (सिग्नल्स) अथवा मार्गों (चैनल्स) में उसका चयन कर पाना, जिसे आप चुनना चाहते हैं| अगर आप कम ग्रहणशील हैं तो आपको स्पष्ट संकेत नहीं मिलेंगे, सच्ची आवाज़ नहीं सुनाई देगी और दूसरे सिग्नल्स तथा चैनल्स भी मिलने लगेंगे| आप उनसे प्रभावित हों न हों, विचलित अवश्य हो जाएँगे| ऐसी परिस्थितियांँ आ सकती हैं, फिर भी आपको अपना ही चैनल चुनना है| आवाज़ भले ही टूट रही हो, कमज़ोर आ रही हो, पर उसी चैनल पर डटे रहेंगे तो एक समय वह भी आएगा, जब वह साफ और स्पष्ट होने लगेगी|
कमजोर से कमजोर संकेत को पकड़ लेने की क्षमता ही आपकी संवेदनशीलता है| आदर्श स्थिति तो यह है कि आपके अंदर ग्रहणशीलता और संवेदनशीलता दोनों ही गुण होने चाहिए लेकिन अगर आपको दोनों में चुनना ही पड़े तो आपको ग्रहणशीलता को चुनना चाहिए| जब आप ग्रहणशील होते हैं तो आप जो देखना चाहते हैं, उसके लिए अधिक ट्यून्ड हो जाते हैं| इसलिए यह निर्णय करें कि आपको क्या देखना है यानी आप क्या चुनना चाहते हैं?
आपकी चेतना का स्तर जितना ऊँचा होता है, आप उतनी ही बेहतर चीजों को प्रेम कर पाते हैं| समझ यह होनी चाहिए कि आपको प्रेम में गिरना नहीं है बल्कि ऊपर उठना है| अगर किसी के प्रति आपका प्रेम आसानी से नफरत में बदल रहा है, कोई छोटी सी घटना या नासमझी ईर्ष्या अथवा दुर्भावना पैदा कर रही है तो आपको यह बात समझ लेनी चाहिए कि वहॉं प्रेम है ही नहीं| जब आपकी चेतना का स्तर नीचा होता है, तब आप आसानी से संगती के असर का शिकार हो जाते हैं| दूसरों की बातों में आकर अपनों से द्वेष करने लगते हैं| ऐसे समय में यह याद रखना चाहिए कि जीवन में आनेवाली कठिन परिस्थितियॉं दरअसल चेतना के निम्न स्तर के बावजूद आपके प्रेम के अस्तित्व की परीक्षाएँ हैं और आपको उन्हें उत्तीर्ण करना ही है|
समय के साथ संत शब्द गायब हो गया और इसी के साथ वैलेंटाइन शब्द का वास्तविक अर्थ और सुगंध भी गुम हो गई| इस दिवस की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए हमें इसे इसके पूरे नाम ‘हॅपी सेंट वैलेंटाइन डे’ के नाम से अभिवादन करना चाहिए| यह दिन हमारे लिए यादगार बन जाए कि हम अपने वास्तविक उद्देश्य को समझ सकें, इस पर कायम रह सके| ‘तेज प्रेम’ के लिए ग्रहणशील और संवेदनशील बन सकें| जब एक बार आप इसका अनुभव कर लेंगे और ऐसे प्रेम के साथ एकाकार हो जाएँगे, आप सर्वोत्तम गुणों की अभिव्यक्ति कर सकेंगे और अपनी पूरी क्षमता को प्राप्त कर पाएँगे|
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